नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता मनोज सोनकर ने मतगणना प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से एक दिन पहले रविवार को चंडीगढ़ के मेयर पद से इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले बताया जा रहा था कि नई दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक हुई, जिसके बाद पार्टी ने सोनकर से इस्तीफा देने के लिए कहा.
सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करने वाला है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि भाजपा ने 30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर चुनाव के दौरान डाक मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ की. मेयर पद के लिए भाजपा के मनोज सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया, उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी के 12 के मुकाबले 16 वोट मिले. आठ वोट अवैध घोषित किए गए.
आप और कांग्रेस के विपक्षी पार्षदों ने आरोप लगाया कि पीठासीन अधिकारी ने मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ की है. भाजपा ने इस आरोप को खारिज कर दिया है. पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ करते हुए पकड़े जाने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.
मतपत्रों को कथित तौर पर विकृत करने की घटना से स्तब्ध सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी को फटकार लगाई और कहा कि यह लोकतंत्र का मजाक उड़ाने जैसा है. शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि मतपत्रों और चुनावी कार्यवाही के वीडियो को संरक्षित रखा जाए.
कोर्ट की चर्चा
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने चुनावी कार्यवाही का वीडियो देखने के बाद नाराजगी व्यक्त की और कहा कि, प्रथम दृष्टया रिटर्निंग अधिकारी मतपत्रों को विकृत कर रहा था. इसके आगे पीठ ने कहा, यह स्पष्ट है कि उन्होंने पीठासीन अधिकारी मतपत्रों को विकृत कर दिया है। उनपर मुकदमा चलाने की जरूरत है वह कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं. श्रीमान सॉलिसिटर, यह लोकतंत्र का मजाक है और लोकतंत्र की हत्या है. इसी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी को वीडियो में दिखाए गए आचरण के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए 19 फरवरी को अदालत में उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया है.