बच्चो को नहीं मिल रही शिक्षा की सुविधा।।सरकार बनी हैं अनजान।।

siksh

जहां पर प्रदेश की सरकार हो या केंद्र की एक और शिक्षा को बहुत ही महत्व दिया जाता है मंचों से अधिकतर शिक्षा को बढ़ावा देने की बात की जाती है और कहा जाता है कि भारत का हर बच्चा सशक्त मजबूत , शिक्षित बने लेकिन एक और ही नहीं कई जगह पर इस तरह की भयावह तस्वीरें देखने को मिलती है जहां पर बच्चे शिक्षा से वंचित होते हुए नजर आ रहे हैं कहीं बच्चों को शिक्षक नहीं मिल रहा है पढ़ाने को तो कहीं पर उनको स्कूल में बैठने के लिए जगह ही नहीं मिल रही है ऐसे में सरकार क्या जिम्मेदारी निभा रही है
तो ताजा मामला ओडिशा के मलकानगिरी में एक स्‍कूल बिना भवन के चल रहा है। जहा खुले मैदान में चल रहा स्‍कूल, बिल्डिंग बनाने की बात बस कागज तक रह गई सीमित, पढ़ने के बजाय महुआ चुन रहे बच्‍चे संतोष कुमार पांडेय, अनुगुल। आदिवासी बहुल मलकानगिरी जिले में शिक्षा व्यवस्था की एक भयावह तस्वीर पेश करते हुए यहां खैरपुट प्रखंड का एक स्कूल बिना अपने भवन के केवल कागजों पर सीमित है

पिछले नौ वर्षों से खुले आसमान में कोई स्थायी संरचना नहीं है। सूत्रों ने बताया कि पहले स्कूल टीन की छत वाले घर में चल रहा था, लेकिन 2014 में चक्रवात हुदहुद के दौरान अस्थायी ढांचे को नुकसान पहुंचा था। तब से छात्र खुले में या पेड़ों के नीचे पढ़ाई कर रहे हैं। लगभग 20 छात्र स्कूल में नामांकित हैं, जिसमें एक से आठ तक की कक्षाएं हैं तथा स्कूल में दो शिक्षक भी पदस्थ हैं।

सरकार को सुध नहीं।

ओडिशा की सत्ता में पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल की सरकार हैं।नवीन पटनायक एक बार फिर मुख्यमंत्री के तौर पर उड़ीसा की बागडोर संभाल सकते हैं. उन्हीं की प्रदेश के बच्चे शिक्षा के लिए दर-दर भटक रहे हैं खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। सरकार कोई कदम उठाएगी।।

पढ़ाई नहीं महुआ जुटाने में लगता है छात्रों का मन

ग्रामीणों का आरोप है कि भवन के अभाव में छात्र अकसर क्लास छोड़ देते हैं। बच्चे स्कूल जाने के बजाय महुआ के फूल इकट्ठा करना पसंद करते हैं और अपने माता-पिता के दैनिक घरेलू कामों में मदद करते हैं। इनमें से कुछ पत्थर तोड़ने के काम में भी लगे हैं।

स्‍कूल तक रास्‍ते के अभाव में बच्‍चों को दिक्‍कत

उन्होंने कहा कि हमने प्रशासन से पूर्व में कई बार स्कूल भवन बनाने का अनुरोध किया है, लेकिन हमारी सभी अनुरोधों को अनसुना कर दिया गया। इसके अलावा, कुटनीपदर में स्कूल के लिए कोई सड़क नहीं है तथा स्कूल पहुंचने के लिए छात्रों को कम से कम आठ किमी पैदल सफर करना पड़ता है।

बिल्डिंग निर्माण के लिए कोई बोली लगाने को नहीं तैयार

खैरपुट के प्रखंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) शशि भूषण मिश्रा से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि मैंने मामले को जिला शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में लाया है। स्कूल भवनों के निर्माण के लिए निविदाएं जारी की गई हैं, लेकिन स्कूलों तक सड़कें नहीं होने के कारण कोई बोली लगाने वाला नहीं है। 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Home
Google_News_icon
Google News
Facebook
Join
Scroll to Top