अब पुरुष भी गर्भनिरोधक गोलियां ले सकेंगे। जी हां आपने सही सुना है वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में बहुत बड़ी सफलता मिली है। पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोलियां बनाने पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवाई बना ली है जो चूहों पर सफल रही है। लेकिन मनुष्यों पर इनका क्लिनिकल ट्रायल इस प्रयोग को प्रीक्लिनिकल मॉडल में दोहराने के बाद ही संभव है। यह एक ऐसी दवा है जो अस्थाई रूप से शुक्राणुओं को अपने रास्ते में आने से रोककर चूहों में गर्भधारण को रोकती है।
न्यू यॉर्क में स्थित वील कार्नेल मेडिसिन के शोधकर्ताओं के अनुसार पहले निर्माण की जा रही गर्भनिरोधक गोलियो पर शोध इसलिए रोका था क्योंकि उनके कई दुष्प्रभाव उभर कर आए थे।
इस शोध के वरिष्ठ लेखकों लोनी लेविन और जोचेन बक की टीम ने पाया की चूहों में अनुवांशिक रूप से एक महत्वपूर्ण सेल्यूलर सिग्नलिंग प्रोटीन सॉल्युबल एडेनलील साइक्लेज (SAC) की कमी होती है।
नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित स्टडी के अनुसार SAC अवरोधक की एक खुराक, TDI – 11861 चूहों के शुक्राणुओं को लगभग ढाई घंटे तक रोक के रखती है। संभोग के पश्चात् महिला प्रजनन के मार्ग में भी चूहे के शुक्राणु निष्क्रिय अवस्था में थे।
वैज्ञानिकों ने पाया कि तीन घंटे के पश्चात् कुछ शुक्राणुओं में गति आ गई और लगभग 24 घंटे के बाद सभी शुक्राणु सामान्य गति में आ गए। TDI – 11861 की खुराक लेने वाले नर चूहों को मादा चूहों के साथ रखा एवं पाया लगभग 52 बार संभोग करने के बावजूद भी मादा चुहिया गर्भवती नहीं हुई।
शोधकर्ताओं के अनुसार यह गोली 30 मिनट से एक घंटे में काम करती है जबकि दूसरे गर्भनिरोधकों में यह समय लगभग एक हफ्ता था। इस गोली का प्रभाव कम समय तक रहता है जिससे पुरुषों को प्रजनन क्षमता को लेकर हर रोज फैसले लेने की आजादी होगी।
लेविन ने पत्रकारों के साथ हुई बातचीत में कहा कि चूहों पर सफल परीक्षण के बाद उनकी टीम मनुष्यों में इसके ट्रायल पर काम कर रही है। मनुष्यों में सफलता के पश्चात यह गोली बाजार में आ जाएगी।