युवाओं में बढ़ती नशे की लत चिंता का विषय बन गई है। महानगरों और छोटे शहरों में अवैध मादक पदार्थ बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। युवा पीढ़ी के ऐसे अभिभावक, जो अपनी व्यापारिक व्यस्तताओं में उलझे रहते हैं, अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते। वह कहां जाता है, किससे मिलता है, उसके मित्रों की आदतों की जानकारी लेने की चिंता नहीं करते हैं।
ऐसी लापरवाही से ही युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आती चली जाती है। गलत संगत में पड़कर नशा करने की छोटी-छोटी शुरुआत से ही धीरे-धीरे नशे की आदत उसके शरीर पर गहरी पकड़ बना लेती है। ऐसी अवस्था में नशे की भूख उसके लिए असहनीय हो जाती है, तब नशीले पदार्थों का सेवन करने के लिए अपने अभिभावकों पर पैसा लेने के लिए दबाव डालने लगता है। मना करने पर तरह-तरह की धमकियां देने लगता है। पैसा नहीं मिलने पर चोरी जैसी बुराई को अपना लेने में भी शर्म महसूस नहीं करता है।
नशे की लत मैं युवा इतना व्यस्त हो जाता है कि कोई फर्क नहीं पड़ता की उसके सामने माता-पिता है या परिवार है। बस वह अपने आप को खत्म करने में लगा होता है आज हम लगातार देखते हैं किस तरीके से लोग पब में जाकर नशा करते हैं। किसी की जान लेने में भी नहीं चूकते हैं।
नशा एक बहुत व्यापार बन चुका है अगर इसको रोका नहीं गया तो यह भारत की अर्थव्यवस्था संस्कृति और भारतीय जीवन को खत्म कर देगा।