खेती में कीटनाशक छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे किसान।

drone

केंद्र सरकार द्वारा खेती में तकनीक के उपयोग पर जोर देने के बाद अब किसान भी नई तकनीक को अपनाने के लिए आगे बढ़ रहे है। ऐसे ही एक किसान जिसने अपनी सजगता दिखाते हुए कर्नाटक में ड्रोन से खेती को बढ़ावा दिया और साथ ही ड्रोन की मदद से अपनी फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव कर रहे है।

बैंगलोर से 150 किलोमीटर दूर चामराजनगर जिले के अलूर गांव में पुट्टु स्वामी का सोयाबीन का खेत है। उनके खेत में कीटनाशक छिड़काव के लिए उन्हें मज़दूरों की कमी का सामना करना पड़ रहा था साथ ही उनके सोयाबीन के बीज नहीं बन पा रहे थे। ऐसे में पुट्टु स्वामी का परेशान होना स्वभाविक था वही सरकार इन दिनों खेती को हाई टेक करने के लिए किसानो को कई तरह से तकनीक का उपयोग करने के लिए बढ़ावा दे रही है।

वही जब पुट्टु स्वामी को सरकार की ड्रोन तकनीक से कीटनाशक छिड़काव का पता चला तो पुट्टु स्वामी ने हेल्पलाइन नंबर डायल कर ड्रोन मँगवाया। जिसके बाद अब वह अपनी सोयाबीन की फसलों पर ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक का छिड़काव कर रहे है।

आपको बता दे की 1 एकड़ में इस तरह का छिड़काव करने के लिए दो लेबर को 8 घंटे तक काम करना पड़ता था. इस वजह से खेती में किसानों की लागत बढ़ जाती थी जो ड्रोन के इस्तेमाल से दिन भर में 25 एकड़ खेती में पोषक तत्व और कीटनाशक का छिड़काव किया जा सकता है.

पुट्टु स्वामी को ड्रोन के माध्यम से कीटनाशक छिड़काव करते देखते हुए दूसरे ग्रामीणों में भी ड्रोन और नई तकनीकों को लेकर उत्सुकता बड़ी है। बड़ी संख्या में आस पास के ग्रामीण एकत्रित होकर ड्रोन की इस तकनीक को जानने के इच्छुक दिखे।

करीब साल भर पहले जनवरी 2022 में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने ड्रोन तकनीक को सस्ता और अधिक सुलभ बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थी. जिसके बाद नागार्जुन और उनके भाई निरंजन ने ड्रोन बनाने वाले एक और स्टार्ट-अप Piefly R&D Pvt Limited के संस्थापक एएम मनोज से हाथ मिलाया. इसके बाद चमराजनगर जिले में किसानों की मदद के लिए उन्होंने एक प्रोजेक्ट शुरू किया.

स्टार्ट-अप Piefly R&D Pvt Limited ने पहली बार नागार्जुन के परिवार की 30 एकड़ जमीन पर ड्रोन का परीक्षण किया, पिछले साल दिसंबर में उन्होंने अपना पहला कमर्शियल कामकाज शुरू किया.

ड्रोन उपलब्ध कराने वाली कंपनी के मालिक नागार्जुन ने कहा, “पुट्टु स्वामी ने हमसे फोन पर शिकायत की कि सूरजमुखी के बीज पूरी तरह से नहीं बन रहे हैं. हमने उनकी समस्या का अध्ययन किया और सिफारिश की कि वह अधिक बोरॉन का उपयोग करें.” बांदीपुर नेचुरल्स एग्रीफार्म प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक शिवपुरा मरीबसप्पा नागार्जुन कुमार ने उन्हें यह सलाह दी थी. यह कंपनी पिछले साल अगस्त में बना एक कृषि-स्टार्टअप है. जो किसानो को नई तकनीक से खेती कराने की प्रेरणा देता है।

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