ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों कि मैं आज के दिन बड़ा ही उत्साह है जुनून के साथ वही अपने हिस्से त्यौहार को मनाते हैं। बूढ़े से लगाकर के बच्चे तक चर्च जाते हैं भगवान यीशु आराधना करते हैं
ईसाइ धर्म को मानने वाले लोग आज गुड फ्राइडे का त्योहार देश में बड़े उत्साह से मना रहे हैं। इस दिन प्रभु यीशू को याद करते हैं. गुड फ्राई डे को यीशू के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व हर साल ईस्टर संडे से पहले आने वाले शुक्रवार को मनाया जाता है. इस दिन चर्च में प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है. लेकिन सवाल ये है कि इस दिन को गुड फ्राई डे क्यों कहा जाता है और इस दिन कौन से ऐसे काम हैं जो नहीं करने चाहिए.
गुड फ्राईडे क्यों मनाते हैं
गुड फ्राइडे को होली डे, ब्लैक फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि मानव जाति की रक्षा के लिए प्रभु यीशू ने बलिदान दे दिया था. यीशू को यहूदी शासकों ने शारीरिक और मानसिक रूप से कई यातनाएं दीं और उन्हें सूली पर चढ़ा दिया. जिस दिन यीशू को सूली पर चढ़ाया गया था वो दिन शुक्रवार था. इसलिए यह दिन गुड फ्राईडे के रूप में जाना जाता है. इसको लेकर एक और मान्यता है कि सूली पर चढ़ाए जाने के 3 दिन बाद यानी रविवार को ईसा मसीह जीवित हो उठे थे जिसके कारण ईस्टर संडे को जश्न के रूप में मनाते हैं ईसाइ घर्म के लोग.
गुड फ्राइडे के दिन लोग चर्च में घंटे नहीं बजाते है बल्कि इस दिन विशेष प्रार्थना की जाती है और लकड़ी के खटखटे से आवाज की जाती है. आज यानी 07 अप्रैल को गुड फ्राइडे मनाया जा रहा है
आपको बता दें कि गुड फ्राईडे के 40 दिन पहले से उपवास रखते हैं. कुछ लोग केवल शुक्रवार को उपवास करते हैं. गुड फ्राई डे के दिन घर में सजावट की वस्तुओं को ढ़क दिया जाता है. इस दिन काले कपड़े पहनकर चर्च में शोक मनाया जाता है.
चर्च में नहीं बजाई जाती घंटियां
गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के अनुयायी चर्च और घरों में सजावट की वस्तुएं कपड़े से ढक देते हैं. चर्च में काले कपड़े पहनकर जाते हैं और शोक जताते हैं और प्रभू यीशु से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं. ईसा मसीह के अंतिम सात वाक्यों की विशेष व्याख्या की जाती है. इस दिन चर्च में विशेष प्रार्थना सभाएं होती है, बाईबल के उपदेश पढ़े जाते हैं. गुड फ्राइडे प्रशू यीशु के बलिदान दिवस के तौर पर याद किया जाता है. ये प्रायश्चित्त और प्रार्थना का दिन है इसलिए इस दिन चर्च में घंटियां नहीं बजाई जातीं. बल्कि लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं. लोग चर्च में क्रॉस को चूमकर उनका स्मरण करते हैं.