आज है कामदा एकादशी। जाने पूजा विधि और महत्व।

ekadshi

कामदा एकादशी शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। कामदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को कई पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से राजा पुंडरीक के नगर में रहने वाले ललित को राक्षस योनि से मुक्ति मिली थी. उसकी पत्नी ललिता ने कामदा एकादशी व्रत के पुण्य को ललित को दान कर दिया, जिससे वह राक्षस योनि से मुक्त हुआ और दोनों बाद में स्वर्ग चले गए. कामदा एकादशी व्रत करने से पाप मिटते है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कामदा एकादशी व्रत पूजा विधि।

कामदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ कपड़ा धारण करें। इसके बाद अपने पूजा स्थल पर जाएं और एक लकड़ी की चौकी रर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद एक लोटे में जल लेकर उसमें तिल, रोली और अखंड अक्षत लेकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें, इसके बाद भगवान विष्णु को फल, फूल, दूध, पंचामृत तिल अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें और फिर कामदा एकादशी व्रत की कथा जरुर पढ़े।

कामदा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त।

चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ: 01 अप्रैल, शनिवार, 01:58 एएम से
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 02 अप्रैल, रविवार, 04:19 एएम पर
विष्णु पूजा का शुभ-उत्तम मुहूर्त: आज, 07:45 एएम से 09:18 एएम तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:00 पीएम से 12:50 पीएम तक

कामदा एकादशी व्रत कथा।

प्राचीन काल भोगीपुर नामक नगर में राजा पुंडरीक राज्य करते थे। भोगीपुर नगर में कई अप्सराएं, किन्नर, गंर्धव रहते थे। उसी राज्य में ललिता और ललित नाम के पति-पत्नी वैभवशाली घर में रहते थे और दोनों के बीच अत्यंत गहरा प्रेम था। एक दिन ललित पुंडरीक के राज दरबार में गान कर रहे थे तभी उनको अपनी पत्नी ललिता की याद आ गई, जिससे सुर, लय और ताल बिगड़ने लगे और गाने का स्वर भंग हो गया। उनकी यह गलती राजा ने पकड़ ली। ललित ने राजा को पूरी बात बता दी, जिससे राजा क्रोधित हो गए और ललित को कच्चा मास और मनुष्यों को खाने वाला राक्षस बनने का शाप दे दिया।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Home
Google_News_icon
Google News
Facebook
Join
Scroll to Top