नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में मतपत्र और वोटों की गिनती का वीडियो मंगलवार दोपहर 2 बजे तक पेश करने का आदेश दिया है. अदालत ने चुनाव की अध्यक्षता करने वाले रिटर्निंग ऑफिसर को भी फटकार लगाई और कहा कि उन पर मतपत्रों को विकृत करने के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए.
मेयर चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने डिप्टी कमिश्नर को एक नया रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त करने के लिए भी कहा, जो किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं था.पीठ ने कहा, कि चंडीगढ़ विधानसभा में हुई खरीद-फरोख्त से हम दुखी हैं.
खरीद-फरोख्त का यह धंधा बंद होना चाहिए और इसीलिए हम कल ही मतपत्र देखना चाहते हैं. भाजपा ने 30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जीत हासिल की, तीनों पद बरकरार रखे और कांग्रेस-आप गठबंधन को हरा दिया. इसके बाद AAP ने रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह पर चुनाव प्रक्रिया में धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाते हुए दोबारा चुनाव कराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें अनिल मसीह सीसीटीवी पर नजर डालते हुए मतपत्रों पर टिक लगाते दिख रहे हैं, जिससे चुनाव की निष्पक्षता पर चिंता बढ़ गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अनिल मसीह को पीठ के सामने शारीरिक रूप से पेश होने के लिए बुलाया था. सोमवार को पीठ ने उनसे वीडियो के बारे में पूछा और पूछा कि वह सीसीटीवी क्यों देख रहे हैं.
इस पर मसीह ने जवाब दिया कि सभी मतपत्र ख़राब हो गए थे और वह सिर्फ उन पर निशान लगा रहा था. उन्होंने कहा, वहां इतने सारे कैमरे थे कि मैं बस उन्हें ही देख रहा था.
इसके बाद पीठ ने उनसे पूछा कि उन्होंने मतपत्रों पर निशान क्यों लगाए, अनिल मसीह ने कहा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि मतपत्र आपस में मिल न जाएं.इसका मतलब है कि आपने इसे चिह्नित कर लिया है. उस पर मुकदमा चलाना होगा. चुनावी लोकतंत्र में इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती,’ पीठ ने टिप्पणी की है.