ब्रज की होली में डूबे श्रद्धालु

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होली रंगों का त्योहार की शुरुवात हो गई हैं।।वृंदावन में रंगभरनी एकादशी पर मंदिर की आभा देख लग रहा था कि मानो ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में रंगीले बादल छा गए हों। जन-जन के आराध्य ने जब भक्तों संग होली खेली तो लगा कि समय ठहर सा गया है। दिव्य होली के दर्शन के लिए देश विदेश से भारी तादाद में श्रद्धालु वृंदावन पहुंचे। मंदिर प्रांगण में ठाकुर बांके बिहारी के गगन भेदी जयकारे बांके बिहारी के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा बयां कर रहे थे। अबीर-गुलाल और रंग के ऐसे गुबार उड़े कि मंदिर की आभा सतरंगी दिखने लगी। मंदिर प्रांगण रंग बिरंगे फूलों से अट गया। भीड़ को देखते हुए सेवायत गोस्वामी द्वारा सुबह तय समय 8:45 से लगभग एक घंटे पहले ही ठाकुर जी के पट खोल दिए। अनुमान के मुताबिक दिन भर में करीब पांच लाख से अधिक भक्तों ने वृंदावन की होली का आनंद लिया।

पट खुलते ही लोगों की भीड़ जयकारे लगाते हुए मंदिर में प्रवेश कर गई। सेवायतों ने रजत सिंहासन पर श्वेत पोशाक धारण कर विराजमान ठाकुरजी पर स्वर्ण पिचकारी से केसर निर्मित सुगंधित रंग डालकर परंपरागत होली का शुभारंभ किया। इसके बाद अबीर-गुलाल और फूलों की होली का आनंद लिया। सेवायतों के द्वारा टेसू के फूलों, केसर मिश्रित प्राकृतिक रंगों को पिचकारियों में भरकर श्रद्घालुओं पर वर्षा की गई। रंग और गुलाल में सराबोर हो भक्तों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 

संभल नहीं पाई भीड़ 

मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ को संभालने में पुलिस प्रशासन के पसीने छूट गए। सुरक्षा के लिए लगाई गई पुलिस फोर्स और मंदिर के निजी सुरक्षा गार्ड भीड़ को संभालन में लाचार दिखे। गनीमत रही कि कोई श्रद्धालु बेहोश नहीं हुआ। हर कोई ठाकुर बांके बिहारी की एक झलक पाने को आतुर था। मंदिर के चौक में भीड़ का आलम यह था कि पैर रखने तक जगह नहीं थी। 
 

गुलाल से तर-बतर हुए भक्त 

वृंदावन आए श्रद्धालुओं ने ठाकुर बांकेबिहारी संग होली खेलकर खुद को धन्य महसूस किया।  दिल्ली निवासी रीना ने कहा कि यहां की होली ने उन्हें काफी आकर्षिक किया है। ऐसी होली उन्होंने पहली बार देखी है। एटा निवासी अंजली अपने परिवार के साथ बांकेबिहारी की होली में शामिल हुईं। 
 

टेसू के रंग और चंदन का  प्रयोग 

ठाकुर श्री बांकेबिहारी अपने रजत सिंहासन पर आरुढ़ होकर श्वेत पोशाक धारण कर होली खेलने जगमोहन में विराजे। होली खेलने के लिए टेसू के रंग, चंदन के अलावा चोवा, अबीर और गुलाल का प्रयोग किया गया, जबकि ठाकुर बांके बिहारी के लिए शुद्ध केसर का रंग बनाया गया और इस केसरयुक्त रंग को सेवायतों द्वारा सवसे पहले बांकेबिहारी जी के ऊपर स्वर्ण रजत पिचकारी से डाला गया। सेवायतों ने होली गीत, सवईया, समाज गायन के साथ बधाई गीत गाए गए। सेवायत प्रह्लल वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि सेवायतों ने गोपी के गाल गुलाबिन पै, मल लाल गुलाल लगावत लाला…पीठ पड्यो लहराये, तेरों कारौ चुटीला रेशम कौ…आदि गीत गाकर ठाकुर जी के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट किया। 

लाखो मैं पहुंचे श्रद्धालु

ठाकुर बांके बिहारी के भक्तों में लगातार इजाफा हो रहा है। अनुमान के मुताबिक नए साल पर जहां दस लाख भक्तों ने दर्शन किए वहीं रंगभरनी  एकादशी पर पांच लाख से अधिक भक्त अपने आराध्य की झलक पाने की अभिलाषा लिए पहुंचे हैं। खुफिया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार सुबह और शाम के समय लगभग 5 लाख भक्तों ने ठाकुरजी के दर्शन किए, जबकि गैर सरकारी आंकड़े इससे अधिक हैं।

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