नए संसद भवन  को लेकर विरोध तेज़। जाने कौनसे दल कर रहे विरोध कौन होगा शामिल।

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नए संसद भवन के उद्धाटन से पहले इसको लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है। कांग्रेस समेत 19 दलों की ओर से यह ऐलान किया गया कि वह इस कार्यक्रम का बहिष्कार करेंगे। वहीं इस बीच कई ऐसे दल हैं जो इस कार्यक्रम में शामिल होंगे साथ ही कुछ दल अभी अनिर्णय की स्थिति में हैं। वहीं गृह मंत्री अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि नया संसद भवन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता का प्रमाण है।

ये पार्टी कर रही बहिष्कार।

विपक्ष के 19 दलों ने बुधवार को ऐलान किया कि वे संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करेंगे। इस सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है और समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखकर अशोभनीय कार्य किया है। एक संयुक्त बयान में यह आरोप भी लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।

कांग्रेस , तृणमूल कांग्रेस , द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (DMK) , जनता दल (U) , आम आदमी पार्टी (AAP) , राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी , राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके),राष्ट्रीय लोकदल

4 विरोधियों दलों ने भी दिया साथ

भले ही ज्यादातर विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह से किनारा किया है लेकिन कुछ विरोधियों ने साथ भी दिया है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाली पार्टी बीजू जनता दल ने कहा है कि उनके नेता समारोह का हिस्सा होंगे. आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP भी समारोह में शामिल होगी. अकाली दल और बसपा जैसी पार्टियां भी समारोह में हिस्सा ले रही हैं।

राजनीति चलती रहती है हमने सबको बुलाया है- अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह से इस दौरान एबीपी न्यूज़ ने सवाल करते हुए पूछा, पीएम के उद्धाटन करने पर विपक्ष बहिष्कार कर रहा है. जब आप इसे वैदित तरीके से स्थापित करेंगे तो क्या होगा? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा, राजनीति को इसके साथ मत जोड़िए. एक बड़ी भावनात्मक प्रक्रिया है पुरानी परंपराओं से नए भारत को जोड़ने की. इसको इतने ही सीमित अर्थ में देखना चाहिए. राजनीति अपनी जगह चलती है. सब अपनी सोचने की क्षमताओं के अनुसार रिएक्शन भी देते हैं और काम भी करते हैं. उन्होंने कहा, हमने सबको बुलाया है।

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