भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज का तीसरा मैच इंदौर के होल्कर स्टेडियम में खेला जाएगा। दोनों टीमों के बीच यह मैच 1 मार्च से शुरू हो गया है। पर इंदौर की पिच को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे है। दरअसल, सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसके आधार पर कहा जा रहा है कि होल्कर स्टेडियम की पिच लाल मिट्टी से बनाई गई है, जबकि पिच का कुछ हिस्सा काली मिट्टी से तैयार किया गया है। होलकर स्टेडियम की पिच पर स्पिनर्स को पहले दिन ही काफी ज्यादा टर्न मिल रही थी और खेलना मुश्किल हो रहा था।
ICC ले सकती है एक्शन
पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा, ‘अगर आप अच्छा क्रिकेट देखना चाहते हो तो पिच से ही सारा अंतर पैदा होता है. आपके पास असमान उछाल वाले विकेट होने चाहिए ताकि बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों को बराबरी का मौका मिल सके. अगर पहले ही दिन और पहले ही सत्र से गेंद टर्न लेने लगेगी और वो भी असमान उछाल के साथ तो इससे टेस्ट क्रिकेट का मजाक ही बनता है. टेस्ट क्रिकेट के लिए दर्शकों को मैदान में बुलाना सबसे अहम है. आप इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में यह देख सकते हो, लेकिन दुर्भाग्य से भारत में ऐसा नहीं हो रहा. लोग तभी टेस्ट क्रिकेट देखने आएंगे, अगर यह दिलचस्प हो. कोई भी गेंदबाजों को पहले ही सत्र से बल्लेबाजों पर दबदबा बनाते हुए नहीं देखना चाहता.’
वेंगसरकर कहते हैं, ‘टेस्ट क्रिकेट के लिए दर्शकों का मैदान में आना सबसे अहम है. लोग तभी टेस्ट क्रिकेट देखने आएंगे, अगर यह दिलचस्प होय. कोई भी दर्शक गेंदबाजों को पहले ही सत्र से बल्लेबाजों पर दबदबा बनाते हुए नहीं देखना चाहता. आस्ट्रेलियाई दिग्गज मैथ्यू हेडन भी इंदौर की पिच से नाखुश हैं।
कैसी पिच होती है सही ?
ऐसा माना जाता है कि अगर कोई पिच लाल मिट्टी से तैयार की जाती है तो उस पर हल्की घास छोड़ दी जाती है. इस तरह की विकेट पर उछाल और स्पीड देखने को मिलती है. वहीं, अगर पिच काली मिट्टी से बनी है तो माजरा अलग होता है. काली मिट्टी से बनी पिच पर गेंद रूककर आती है और स्पिनरों की गेंद काफी टर्न होती है.
हेडन भी पिच से नाराज।
हेडन ने कहा, ‘किसी भी तरह से छठे ही ओवर से स्पिनर्स को गेंदबाजी के लिए नहीं आना चाहिए. इसलिए मैं इस तरह की पिचों को पंसद नहीं करता. पहले दिन से पिच इतनी टर्न लेने वाली नहीं होनी चाहिए. यह मायने नहीं रखता कि आस्ट्रेलिया यह टेस्ट जीते या फिर भारत. इस तरह की पिचें टेस्ट क्रिकेट के लिए अच्छी नहीं हैं.’