नई दिल्ली: जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे है, ठीक वैसे वैसे चुनाव की गर्मी बढ़ती हुई दिख रही है. इसी बीच लोकसभा चुनाव से पहले, बना गठबंधन इंडिया INDIA हर गुजरते दिन के साथ खुद को परेशानी में पाता हुआ नजर आ रहा है. बता दें पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार और अब उत्तर प्रदेश तक कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को हर दूसरे दिन टूट का सामना और हजारों परेशानी का सामने करना पड़ रहा है. कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने कहा, इंडिया ब्लॉक जैसा कुछ भी नहीं है क्योंकि नीतीश कुमार ने अपना आखिरी अधिकार पहले ही निभा दिया है. भाजपा विरोधी गुट के लिए नया सिरदर्द जयंत चौधरी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय लोक दल है, जिसने 19 जनवरी को 2024 के लोकसभा चुनावों में 7 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ एक समझौता किया था. लेकिन अब 19 दिन के अंदर ही वह एनडीए से हाथ मिलाने को तैयार हैं और वह भी कम सीटों के साथ.
मतदान से पहले INDIA में टूट
मतदान से पहले बीजेपी और कांग्रेस के बीच जमकर खेल चल रहा है. इसी बीच जहां कांग्रेस देश भर में प्रमुख क्षेत्रीय दलों की ताकत के आधार पर 2024 में जीत हासिल करने की रणनीति बना रही थी. वहीं भाजपा कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों को अपने पाले में खींचने और उसे कमजोर करने के लिए एक अनोखी रणनीति बनाने में व्यस्त है. जानकारी के मुताबिक, बीजेपी अब उत्तर प्रदेश में भी भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A.) को झटका देने की योजना बना रही है. वहीं रालोद के एनडीए के चार सीटों के प्रस्ताव को स्वीकार करने की संभावना है. बताया जा रहा है कि बीजेपी और आरएलडी के वरिष्ठ नेता लगभग अंतिम समझौते पर पहुंच गए हैं, इस समझौते पर मुहर लगाने के लिए जयंत चौधरी के दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है. इसके बाद दिल्ली में गठबंधन की घोषणा होने की उम्मीद है.
जयंत चौधरी की डिमांड
सूत्रों के मुताबिक जयंत चौधरी बीजेपी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चार सीटें मांग रहे हैं. इन सीटों में कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा शामिल हैं. खबर है कि बीजेपी भी इस मांग पर सहमति जताने की इच्छुक है. यदि यह गठबंधन वास्तव में सफल होता है तो इसे अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जाएगा, जिसने आर.एल.डी. के गठबंधन के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश जीतने की योजना बनाई थी. साथ ही चन्द्रशेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी भी इसी में होगी.
बता दें, अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव के लिए जयंत चौधरी को सात सीटों की पेशकश की है, जिनमें बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना, मथुरा और हाथरस शामिल हैं. हालांकि, दो सीटों पर अभी फैसला होना बाकी है.
बड़ा सवाल
सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर क्यों जयंत चौधरी अखिलेश की सात सीटों के बजाय बीजेपी के चार सीटों के ऑफर पर विचार कर रहे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ इसका कारण अखिलेश यादव के साथ मिलकर चुनाव जीतने की अनिश्चितता को मानते हैं. उनका मानना है कि राम मंदिर लहर पर सवार बीजेपी को रोकना इस बार विपक्ष के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है.