संघ लोक सेवा आयोग का नेतृत्व इसके अध्यक्ष द्वारा किया जाता है. यूपीएससी में अध्यक्षों के ज्यादा से ज्यादा 10 पद होते हैं. वर्तमान में यूपीएससी के तीन अध्यक्ष पद खाली है और सात पदों पर नेतृत्व किया जा रहा है. लेकिन एक अध्यक्ष मनोज सोनी ने इस पद से इस्तीफा दे दिया है जबकि उनका कार्यकाल 2029 में खत्म होना था. आधिकारिक सूत्रों के द्वारा शनिवार को दी गई जानकारी के अनुसार मनोज सोनी ने अपने कुछ निजी कारणों के चलते इस्तीफा दिया है.
सूत्रों के द्वारा मिली हुई जानकारी के अनुसार मनोज सोनी का अधिकारी पूजा खेडकर के कारण यूपीएससी पर उठाई जा रहे प्रश्नों से कोई मतलब नहीं है. हालांकि मनोज सोनी के स्पीकर को आयोग द्वारा अभी तक स्वीकृत नहीं किया गया है.
अभी तक आयोग ने नहीं किया इस्तीफा मंजूर
मनोज सोनी की उम्र फिलहाल 59 वर्ष है. इन्होंने यूपीएससी आयोग में अपने पद को सदस्य के रूप में 28 जून 2017 को संभाल शुरू किया था. इसके बाद यूपीएससी अध्यक्ष के रूप में उनके द्वारा 16 में 2023 को शपथ ग्रहण की गई थी. उनका यूपीएससी अध्यक्ष का कार्यकाल 2023 से 2029 तक का था. हालांकि अब वह इस्तीफा दे चुके हैं लेकिन अभी तक उनके स्थिति को आयोग द्वारा मंजूरी नहीं दी गई है.
मिली हुई जानकारी के अनुसार मनोज सोनी यूपीएससी के अध्यक्ष नहीं बनना चाहते थे. इसी वजह से उनके द्वारा आयोग से उन्हें उनके अध्यक्ष पद से मुक्त करने के लिए विनती की गई थी. लेकिन आयोग ने उनकी इस विनती को स्वीकार नहीं किया.
पूजा खेडकर को भेजा कारण बताओं नोटिस
पूजा खेडकर पर फर्जी दस्तावेज बनाकर अधिक बार यूपीएससी की परीक्षा देने का केस आयोग द्वारा दर्ज कराया गया है. पूजा खेडकर के द्वारा दी गई 2022 की सिविल सेवा परीक्षा के लिए भी उसकी उम्मीदवारी को रद्द करने के साथ-साथ भविष्य में भी कोई परीक्षा ना दे पाने के लिए एक कारण बताओं नोटिस भी भेजा गया है.
यूपीएससी आयोग पर उठा सवालों का सैलाब
जब से पूजा खेडकर का पूरा मामला सामने आया है तब से सिविल सेवा परीक्षा आयोग सवालों के दर में खड़ा है. आयोग पर आईएएस और आईपीएस के द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फर्जी प्रमाण पत्रों के दावों का सोशल मीडिया पर सैलाब आ गया है. सोशल मीडिया पर बहुत से सिविल सेवा परीक्षा को पास कर चुके अधिकारियों के कुछ तस्वीर नाम और कुछ अन्य विवरण दिखा कर दावा किया गया है कि उनके द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और पिछड़े वर्गों से जुड़े कुछ लोगों जैसे लाभ पाने के लिए फर्जी प्रमाण पत्र का इस्तेमाल पूर्ण रूप से किया गया है.
मनोज सोनी ने सिविल सेवा आयोग में अपनी नियुक्ति से पूर्व तीन बार कुलपति के पद को भी संभालना है. जिसमें से वह एमएसयू के कुलपति होने के दौरान देश के सबसे कम उम्र वाले कुलपति थे.