दिल्ली एक्साइज पॉलिसी केस में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज सुप्रीम कोर्ट से महत्वपूर्ण राहत मिली है. कई महीनों से तिहाड़ जेल में बंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है, जिससे आम आदमी पार्टी (AAP) और उनके समर्थकों में खुशी की लहर है. इस फैसले के साथ ही केजरीवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) पर बड़ा कानूनी दांव खेला है. आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को किन शर्तों पर जमानत दी है.

सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत की शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते हुए कुछ महत्वपूर्ण शर्तें निर्धारित की हैं. केजरीवाल को 10-10 लाख रुपये के दो मुचलके भरने होंगे. इसके अलावा, कोर्ट ने इस केस पर सार्वजनिक टिप्पणी करने पर रोक लगाई है. जमानत की प्रक्रिया के दौरान, केजरीवाल को मुकदमे में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया गया है.
इसके अलावा, केजरीवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय में जाने की अनुमति नहीं दी गई है. यह शर्तें उनके कार्यक्षेत्र को सीमित करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि वे मामले की सुनवाई के दौरान किसी भी तरह का प्रभाव या हस्तक्षेप न कर सकें.
न्यायमूर्ति कांत और भुयान की अलग-अलग राय
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति कांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने अलग-अलग राय व्यक्त की. न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी रूप से सही थी और इसमें कोई प्रक्रियागत अनियमितता नहीं पाई गई. उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 का पालन किया है और केजरीवाल की गिरफ्तारी का तर्क सही था.
वहीं, न्यायमूर्ति भुइयां ने केजरीवाल की गिरफ्तारी की आवश्यकता और वैधता पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी का उद्देश्य केवल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत को विफल करना था. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सीबीआई ने 22 महीने तक केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया, और उन्हें ईडी मामले में रिहाई के ठीक पहले गिरफ्तार किया गया.
मामले की प्रगति और भविष्य की संभावना
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान यह भी माना कि आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना कम है. इसलिए, जमानत का फैसला लेते समय इन परिस्थितियों को ध्यान में रखा गया.
इस निर्णय के साथ, केजरीवाल को एक महत्वपूर्ण कानूनी राहत मिली है, लेकिन अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया है कि उनकी गतिविधियाँ मामले की प्रक्रिया पर कोई प्रभाव न डालें. इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने न केवल केजरीवाल को राहत दी है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि न्यायिक प्रक्रिया निर्बाध रूप से चलती रहे.

निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत के बावजूद, अरविंद केजरीवाल को कई शर्तों का पालन करना होगा. यह जमानत उनके लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी जीत है, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र की सीमाएँ और सार्वजनिक टिप्पणी पर पाबंदी इस बात का संकेत है कि अदालत ने मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए फैसले की शर्तें निर्धारित की हैं.