Singapore में एक तिहाई युवा मानसिक स्वास्थ्य संकट से जूझ रहे, भारत में भी स्थिति गंभीर

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Singapore के एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि वहां के एक तिहाई युवा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं. यह स्थिति न केवल सिंगापुर में, बल्कि भारत सहित कई अन्य देशों में भी चिंताजनक है. मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे अब एक वैश्विक चिंता बन चुके हैं, जिसके कारण युवाओं की जीवनशैली, शिक्षा और कार्यक्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है.

Singapore में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति

Singapore में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 18 से 34 वर्ष के आयु वर्ग के युवाओं में से लगभग 33% ने अपने मानसिक स्वास्थ्य को “बहुत खराब” बताया है. यह आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में चिंताजनक रूप से बढ़ा है.

  1. सामाजिक दबाव: Singapore में उच्च प्रतिस्पर्धात्मक माहौल और सामाजिक अपेक्षाएं युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही हैं. अध्ययन में कहा गया है कि कार्यस्थल की चुनौतियाँ, शिक्षा प्रणाली की कठिनाइयाँ और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाए रखना कई युवाओं के लिए मुश्किल हो रहा है.
  2. COVID-19 का प्रभाव: महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य पर एक और गहरा असर डाला है. लॉकडाउन और सामाजिक अलगाव ने युवाओं में अकेलापन और चिंता की भावना को बढ़ा दिया है.

भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति

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भारत में भी मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, भारत में लगभग 14% युवा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं.

  1. सामाजिक stigma: भारत में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा करना अक्सर ट TABOO माना जाता है. इसका परिणाम यह है कि कई युवा अपनी समस्याओं को साझा नहीं कर पाते और इलाज नहीं करवा पाते हैं.
  2. शिक्षा और करियर के दबाव: भारतीय युवाओं पर शिक्षा और करियर की प्रतिस्पर्धा का भारी दबाव होता है. यह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाता है, विशेषकर परीक्षा के समय में.
  3. संसाधनों की कमी: भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है. चिकित्सकों, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों और संसाधनों की कमी के कारण कई युवा सहायता प्राप्त नहीं कर पाते.

मानसिक स्वास्थ्य के प्रभाव

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का प्रभाव केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है. यह सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी गहरा प्रभाव डालता है.

  1. कार्यस्थल पर प्रदर्शन: मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण युवा कार्यस्थल पर अपनी क्षमताओं का सही ढंग से प्रदर्शन नहीं कर पाते. इससे उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
  2. सामाजिक संबंध: मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ व्यक्तिगत संबंधों में भी खटास लाती हैं. युवाओं में अवसाद और चिंता के कारण सामाजिक अलगाव बढ़ता है.
  3. स्वास्थ्य पर प्रभाव: मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. अवसाद और चिंता के कारण युवाओं में शारीरिक समस्याएँ, जैसे हृदय रोग और अन्य बीमारियाँ, बढ़ने की संभावना रहती है.

समाधान और सुझाव

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  1. जागरूकता: मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है. इसके लिए सामुदायिक कार्यक्रमों और स्कूलों में कार्यशालाएँ आयोजित की जानी चाहिए.
  2. सहायता प्रणाली: युवाओं के लिए सहायता और परामर्श सेवाओं की उपलब्धता बढ़ानी चाहिए. मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए.
  3. खुलकर बात करें: मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए. इससे युवा अपने अनुभव साझा कर सकेंगे और उचित सहायता प्राप्त कर सकेंगे.

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