भारतीय शेयर बाजार में अक्टूबर के शुरुआती तीन कारोबारी सत्रों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 27,142 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं. इस बिकवाली का प्रमुख कारण इज़रायल और ईरान के बीच तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि है. इसके अलावा, चीन के बाजारों का बेहतर प्रदर्शन भी भारतीय बाजारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है.
इज़रायल-ईरान संघर्ष का असर
इज़रायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता पैदा कर दी है. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों के बाजारों पर दबाव बढ़ रहा है. कच्चे तेल की कीमतें भारतीय बाजार की स्थिति को अस्थिर कर रही हैं, क्योंकि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजारों पर पड़ता है.
एफपीआई निवेश में कमी का कारण
एफपीआई के निवेश में कमी का एक अन्य प्रमुख कारण चीन के शेयर बाजारों का बेहतर प्रदर्शन है. चीन की अर्थव्यवस्था की मजबूती और बाजार की स्थिरता ने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया है, जिससे वे भारतीय बाजार से अपने निवेश निकाल रहे हैं और चीनी बाजार की ओर रुख कर रहे हैं. अक्टूबर के शुरुआती तीन दिनों में ही 27,142 करोड़ रुपये की बिकवाली इस बात की गवाही देती है.
सितंबर में था निवेश का उछाल
सितंबर 2024 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो इस साल का सबसे ऊंचा स्तर था. यह एक महीने में एफपीआई द्वारा किया गया सबसे बड़ा निवेश था. हालांकि, अक्टूबर की शुरुआत में भारी बिकवाली के कारण बाजार को झटका लगा है. इसके पहले, अप्रैल-मई 2024 के दौरान 34,252 करोड़ रुपये की निकासी के बाद जून से एफपीआई लगातार भारतीय बाजारों में निवेश कर रहे थे.
शीर्ष 10 कंपनियों को हुआ नुकसान
बीएसई में सूचीबद्ध शीर्ष 10 में से 9 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 4.74 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है. इन कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, एचडीएफसी बैंक और इन्फोसिस जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं. बाजार में इतनी बड़ी गिरावट एफपीआई के भारी निकासी के कारण देखी जा रही है.
क्या है आगे की उम्मीद?
भारतीय बाजार में एफपीआई की बिकवाली से अगले कुछ हफ्तों में और अधिक अस्थिरता देखने को मिल सकती है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक स्थितियों में सुधार होने के बाद एफपीआई फिर से भारतीय बाजार में निवेश कर सकते हैं. फिलहाल, निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है, खासकर इज़रायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और कच्चे तेल की कीमतों पर नजर रखने की जरूरत है.
निष्कर्ष
इज़रायल-ईरान संघर्ष और चीनी बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के चलते भारतीय शेयर बाजार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार में अनिश्चितता बढ़ रही है, और इसके कारण भारतीय बाजार को अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है.