इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और चीन के शेयर बाजारों के मजबूत प्रदर्शन के चलते भारतीय शेयर बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर के मात्र तीन कारोबारी सत्रों में ही भारतीय बाजारों से 27,142 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की है.
एफपीआई की बिकवाली ने बाजार को हिलाया
सितंबर में एफपीआई ने 57,724 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे, जो इस वर्ष में किसी एक महीने में सबसे अधिक था. लेकिन अक्टूबर की शुरुआत में ही उन्होंने बड़े पैमाने पर शेयरों की बिक्री शुरू कर दी है. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-मई में 34,252 करोड़ रुपये की निकासी के बाद जून से एफपीआई लगातार भारतीय इक्विटी बाजारों में निवेश कर रहे थे. हालांकि, मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों के कारण वे अब अपनी पूंजी निकाल रहे हैं.
शीर्ष कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में गिरावट
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में सूचीबद्ध शीर्ष 10 में से नौ कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में कुल मिलाकर 4.74 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है. यह गिरावट निवेशकों के मनोबल को प्रभावित कर रही है और बाजार में अस्थिरता बढ़ा रही है.
आगामी आईपीओ और निवेशकों की धारणा
इस सप्ताह केवल दो कंपनियों के आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए खुले रहेंगे. एफपीआई की बिकवाली के कारण निवेशकों में असमंजस की स्थिति है, जो नए आईपीओ की सफलता को प्रभावित कर सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक परिस्थितियां नहीं सुधरीं, तो बाजार में और गिरावट देखने को मिल सकती है.
वैश्विक कारकों का भारतीय बाजार पर प्रभाव
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष ने कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ा दिया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है. इसके अलावा, चीन के बाजारों के बेहतर प्रदर्शन ने विदेशी निवेशकों को वहां निवेश करने के लिए आकर्षित किया है, जिससे भारतीय बाजार से धन का बहिर्वाह हो रहा है.
विशेषज्ञों की सलाह
वित्तीय विश्लेषकों का सुझाव है कि निवेशकों को मौजूदा परिस्थितियों में सतर्क रहना चाहिए. लंबी अवधि के निवेशकों को बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बावजूद अपने पोर्टफोलियो पर ध्यान देना चाहिए और सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए.
निष्कर्ष
वैश्विक राजनीतिक तनाव और आर्थिक कारकों के चलते भारतीय शेयर बाजार वर्तमान में दबाव में हैं. विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली ने बाजार की स्थिरता को चुनौती दी है. हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियादों के चलते उम्मीद है कि यह स्थिति जल्द ही सुधरेगी और बाजार में फिर से स्थिरता आएगी.