पिछले हफ्ते की भारी गिरावट के बाद, निवेशकों की नजर इस हफ्ते के कारोबार पर है. इस हफ्ते बाजार में कई अहम कारक असर डाल सकते हैं, जिनमें प्रमुख रूप से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक और कंपनियों के दूसरी तिमाही के नतीजे शामिल हैं. इसके अलावा, इज़रायल-ईरान संघर्ष जैसी वैश्विक घटनाएं भी भारतीय शेयर बाजार की चाल पर गहरा असर डाल सकती हैं.
पिछले हफ्ते की गिरावट
पिछले कारोबारी हफ्ते में भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई थी. शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए थे. यह गिरावट मुख्य रूप से इज़रायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण हुई. इसके अलावा, वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के चलते निवेशकों का रुझान कमजोर रहा.
आरबीआई एमपीसी बैठक पर नजर
इस हफ्ते का सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक इवेंट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक होगी. इस बैठक में रेपो रेट को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि मुद्रास्फीति और वैश्विक घटनाओं के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक मौजूदा रेपो रेट को स्थिर रख सकता है. हालांकि, बाजार इस फैसले पर बारीकी से नजर बनाए रखेगा, क्योंकि इसका सीधा असर बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों पर पड़ सकता है.
कंपनियों के तिमाही नतीजे
इस हफ्ते से कंपनियों के दूसरी तिमाही के नतीजे भी घोषित होने शुरू होंगे. इन नतीजों से निवेशकों को कंपनियों की मौजूदा वित्तीय स्थिति और उनके भविष्य की योजनाओं का अंदाजा मिलेगा. इसके साथ ही, कई कंपनियों के आईपीओ (IPO) भी लॉन्च होने वाले हैं, जिन पर भी निवेशकों की नजरें टिकी रहेंगी. अगर कंपनियों के नतीजे बेहतर आते हैं, तो यह बाजार को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं.
वैश्विक भू-राजनीतिक हालात का असर
इज़रायल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता देखी जा रही है. इस संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है, जिसका सीधा प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है और मुद्रास्फीति में भी इजाफा हो सकता है. इस वजह से निवेशक सतर्क बने हुए हैं और बाजार में निवेश से पहले वैश्विक घटनाओं पर नजर बनाए हुए हैं.
आगामी हफ्ते के मुख्य कारक
आगामी हफ्ते में बाजार की चाल को प्रभावित करने वाले मुख्य कारकों में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति का निर्णय, कंपनियों के तिमाही नतीजे और वैश्विक घटनाएं शामिल हैं. इसके साथ ही, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की खरीद-बिक्री गतिविधियां भी बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं.
निवेशकों के लिए सलाह
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे इस हफ्ते सतर्कता बरतें और बाजार की चाल को बारीकी से समझें. वैश्विक घटनाओं, आरबीआई के फैसलों और कंपनियों के नतीजों पर ध्यान दें, ताकि सही समय पर निवेश का निर्णय लिया जा सके.