भरतपुर से कांग्रेस सांसद संजना जाटव एक बार फिर से चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वजह उनकी अपनी सुरक्षा नहीं, बल्कि उनके पति कप्तान सिंह हैं. अलवर पुलिस में तैनात कॉन्स्टेबल कप्तान सिंह अब अपनी पत्नी और सांसद संजना जाटव के पर्सनल सिक्यूरिटी ऑफिसर (पीएसओ) के रूप में काम करेंगे. यह निर्णय खुद सांसद की मांग पर लिया गया है, जो इसे लेकर सुर्खियों में हैं.
पति बने सुरक्षा अधिकारी
संजना जाटव ने हाल ही में अलवर पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने अपने पति कप्तान सिंह को अपना सुरक्षा अधिकारी नियुक्त करने की मांग की थी. अलवर एसपी ने इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए आदेश जारी कर दिए, और अब बीते 20 दिनों से कप्तान सिंह अपनी पत्नी के साथ सुरक्षा अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं. यह पहली बार है कि किसी सांसद ने अपने पति को अपनी सुरक्षा में तैनात किया हो, और इस कारण संजना जाटव की इस पहल की हर ओर चर्चा हो रही है.
युवा सांसद की राजनीति में एंट्री
26 वर्षीय संजना जाटव, राजस्थान के भरतपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर प्रदेश की सबसे युवा सांसद बनीं. उन्होंने भाजपा के विजय रथ को रोकते हुए 51,983 मतों से जीत दर्ज की थी. संजना का गांव कठूमर तहसील के समूची में स्थित है, और उनकी जीत ने उन्हें राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया. संजना की सफलता की कहानी ने उन्हें राजनीति में एक नई पहचान दिलाई है, और अब उनके इस नए कदम ने उन्हें फिर से सुर्खियों में ला दिया है.
पति के साथ सुरक्षा की जिम्मेदारी
संजना जाटव ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके पति ही उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं, और अब वे उनके साथ रहकर उनकी सुरक्षा करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि अब वे अपने पति के साथ सुरक्षित और सहज महसूस करती हैं. संजना की यह पहल, जहां एक ओर उनके पारिवारिक संबंधों की मजबूती को दिखाती है, वहीं दूसरी ओर यह भी बताती है कि वे अपने पति पर कितना भरोसा करती हैं.
कप्तान सिंह का बयान
संजना जाटव के पति कप्तान सिंह ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी पत्नी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने में सबसे अधिक सहजता महसूस होती है. उन्होंने कहा कि वे अब अपनी पत्नी के साथ रहकर उनकी सुरक्षा के हर पहलू पर नजर रखेंगे, चाहे वे किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में हों या किसी निजी मुलाकात में.
राजनीतिक हलकों में चर्चा
संजना जाटव की इस पहल ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है. कुछ लोग इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे पारिवारिक हितों के कारण उठाया गया कदम कह रहे हैं. लेकिन इस सबके बीच संजना जाटव ने यह साबित कर दिया है कि वे अपने निर्णयों में कितनी स्वतंत्र और आत्मनिर्भर हैं.
संजना जाटव की यह कहानी एक नई मिसाल पेश करती है, जिसमें उन्होंने अपने पारिवारिक जीवन और राजनीतिक जिम्मेदारियों को एक नई दिशा में ले जाने का साहस दिखाया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह पहल राजनीति और समाज में किस तरह के प्रभाव डालती है.