RBI ने जारी की सख्त गाइडलाइन : 1 महीने से घटाकर 7 दिन कर दी क्रेडिट इन्फॉर्मेशन की रिपोर्टिंग

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जनवरी 1 2025 क्रेडिट इनफॉरमेशन की रिपोर्टिंग 7 दिनों के अंतर्गत करनी होगी जोकि पहले 1 महीने हुआ करती थी . RBI (Resrve Bank Of India) ने CIs और CICs को आदेश दिया की वह इस नियम का 1 जनवरी 2025 से पहले अभ्यास करे.

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RBI (Reserve Bank of India)

प्रगतिशील कदम:

उद्योग के विशेषज्ञ इसे क्रेडिट सूचना पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए एक प्रगतिशील कदम मानते हैं.RBI ने कहा की जो CIs 7 दिनों के अंतर्गत CICs को रिपोर्ट नहीं भेज रही , CICs उनकी जानकारी RBI को प्रदान करें और CICs उसको रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिपार्टमेंट ऑफ सुपरविजन मैं निगरानी के उद्देश्य से अर्धवार्षिक अंतराल यानी प्रत्येक वर्ष 31 मार्च और 30 सितंबर को जमा करें.

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RBI Growth

तेजी से अद्यतन:

द्वि-साप्ताहिक जमा के साथ, क्रेडिट सूचना तेजी से अद्यतन होगी, जिससे उधारदाताओं को अधिक सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी.RBI ने CICs से कहा की वह CIR (credit information report) प्रदान करे ताकि धनदाताओं को कर्जदार की स्तिथि समझने और उधार देने में आसानी हो ताकि बेहतर जोखिम मूल्यांकन हो. रिपोर्टिंग की बढ़ी हुई आवृत्ति उधारदाताओं को जोखिम का अधिक सटीक मूल्यांकन करने में सक्षम बनाएगी, जिससे उधारकर्ताओं द्वारा अत्यधिक उधार लेने की संभावना कम होगी.

RBI द्वारा जारी किए गए notification में बताया गया की CICs और CIs क्रेडिट इन्फॉर्मेशन को लगातार मेंटेन रखे ताकि हर 7 दिन के या उससे छोटे अंतराल में (15 या महीने के आखरी तक) प्रदान कर पाए.

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RBI Governer Shaktikant Das

दंडात्मक कार्रवाई:

नई दिशानिर्देश 1 जनवरी, 2025 से प्रभावी होंगे, और क्रेडिट संस्थानों को जल्द से जल्द लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.नई दिशानिर्देशों का पालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है, जैसा कि क्रेडिट सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 के प्रावधानों में कहा गया है.

CIs (क्रेडिट सूचना) और CICs (क्रेडिट सूचना कंपनियाँ) क्या होती है ?

CI (credit institution)

ये कंपनियाँ क्रेडिट सूचना एकत्र करती हैं, संग्रहीत करती हैं, और वितरित करती हैं.यह जानकारी उधारदाताओं को उधारकर्ता की साख का मूल्यांकन करने में मदद करती है.

CIC (credit information companies)

ये कंपनियाँ क्रेडिट सूचना एकत्र करती हैं, संग्रहीत करती हैं, और वितरित करती हैं.ये कंपनियाँ उधारदाताओं को क्रेडिट सूचना प्रदान करती हैं ताकि वे उधारकर्ताओं की साख का मूल्यांकन कर सकें.भारत में, कुछ प्रमुख CICs में सिबिल, एक्सपेरियन, और इक्विफैक्स शामिल हैं. CICs का उद्देश्य उधारदाताओं को सटीक और अद्यतन क्रेडिट सूचना प्रदान करना है ताकि वे उधारकर्ताओं की साख का मूल्यांकन कर सकें और ऋण देने के निर्णय ले सकें.

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