प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक बयान जारी करते हुए टाटा ग्रुप के वयोवृद्ध उद्योगपति Ratan Tata के निधन पर शोक व्यक्त किया. यह घटना भारतीय उद्योग जगत के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है. Ratan Tata, जिन्होंने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, भारतीय अर्थव्यवस्था और उद्योग में एक स्तंभ की तरह रहे हैं.
Ratan Tata का जीवन और करियर
Ratan Tata का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1961 में टाटा ग्रुप में एक प्रशिक्षु के रूप में की थी. 1991 में वह टाटा ग्रुप के अध्यक्ष बने और उन्होंने समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपने व्यवसाय का विस्तार किया.
पीएम मोदी का शोक संदेश
पीएम मोदी ने नोएल टाटा से बातचीत के दौरान रतन टाटा के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की. उन्होंने कहा कि रतन टाटा ने भारतीय उद्योग को नई दिशा दी और उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. मोदी ने यह भी कहा कि रतन टाटा की दूरदर्शिता और व्यवसायिक नैतिकता ने उन्हें भारतीय उद्योग के अग्रदूत बना दिया.
रतन टाटा की विरासत

Ratan Tata की विरासत न केवल उनकी व्यावसायिक उपलब्धियों में है, बल्कि उन्होंने जो सामाजिक कार्य किए हैं, वह भी उल्लेखनीय हैं. उन्होंने टाटा ग्रुप के तहत कई सामाजिक पहल शुरू कीं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास. उनके योगदान ने लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया.
उद्योग जगत पर प्रभाव
रतन टाटा के निधन का प्रभाव केवल टाटा ग्रुप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समूचे उद्योग जगत को प्रभावित करेगा. उन्होंने कई महत्वपूर्ण अधिग्रहण और नवाचार किए, जो भारतीय उद्योग के विकास में सहायक रहे. उनकी दूरदर्शिता के कारण कई नई कंपनियों को भी प्रेरणा मिली.
नोएल टाटा की भूमिका
नोएल टाटा, जो Ratan Tata के छोटे भाई हैं, ने अपने बड़े भाई के साथ कई वर्षों तक काम किया है. पीएम मोदी के साथ हुई बातचीत में नोएल टाटा ने भी रतन टाटा की विदाई को एक बड़ी क्षति बताया और कहा कि उनकी नेतृत्व क्षमता और नैतिकता का अनुसरण करना आवश्यक है. नोएल टाटा ने यह भी बताया कि रतन टाटा ने अपने जीवन में जो शिक्षाएं दी हैं, उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोना जरूरी है.
भविष्य की संभावनाएं
रतन टाटा के निधन के बाद, यह देखना होगा कि टाटा ग्रुप कैसे आगे बढ़ेगा. समूह में कई नए चेहरे और विचारधाराएं शामिल हैं, जो आने वाले समय में टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती हैं. यह समय समूह के लिए एक चुनौती भी है, क्योंकि उन्हें रतन टाटा की विरासत को बनाए रखते हुए अपने काम को जारी रखना होगा.