बांग्लादेशी शराणर्थियों को वापस भेजने पर जारी है चर्चा
Mizoram के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और बांग्लादेशी शरणार्थियों को वापस भेजने के मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने बताया कि इन शरणार्थियों को वापस भेजना संभव नहीं है और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं. मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को वापस भेजना अमानवीय होगा. इन लोगों ने 2022 में बांग्लादेश में हिंसा और उत्पीड़न के कारण अपने घर छोड़ने पड़े. वे अब मिजोरम में शरण लेकर सुरक्षित जीवन जी रहे हैं. ऐसे में इन्हें वापस भेजना उनके लिए एक और त्रासदी होगी. मिजोरम और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध भी हैं. मुख्यमंत्री ने बताया कि मिजो समुदाय और बांग्लादेश के चकमा और हाजोंग समुदायों के बीच गहरे सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध हैं. इन संबंधों को ध्यान में रखते हुए, शरणार्थियों को वापस भेजना सांस्कृतिक असहमति और सामाजिक तकरार का कारण बन सकता है.
सुरक्षा के मुद्दे
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शरणार्थियों की वापसी से सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी उत्पन्न हो सकती हैं. अगर इन्हें वापस भेजा गया तो उनके जीवन को खतरा हो सकता है और इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि भी प्रभावित हो सकती है. उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि शरणार्थियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए.
अंतर्राष्ट्रीय कानून और समझौते
मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और कानूनों का पालन करने का वादा किया है, जो शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा करते हैं. बांग्लादेशी शरणार्थियों को जबरदस्ती वापस भेजना इन समझौतों का उल्लंघन होगा और इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े हो सकते हैं.
समाधान के लिए की गई मुलाकात
मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने की भी अपील की. उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी शरणार्थियों को मिजोरम में स्थायी रूप से बसाने के लिए योजनाएं बनाई जानी चाहिए. इससे न केवल शरणार्थियों को सुरक्षित जीवन मिलेगा बल्कि मिजोरम की सामाजिक और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.
मुख्यमंत्री लालदुहोमा की यह मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ महत्वपूर्ण रही. उन्होंने शरणार्थियों की स्थिति को लेकर जो मुद्दे उठाए, वे न केवल मिजोरम के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं. उम्मीद है कि इस मुलाकात के बाद शरणार्थियों के मुद्दे पर ठोस कदम उठाए जाएंगे.