केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यों में औद्योगिक मंजूरी की प्रक्रिया को आसान और त्वरित बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है. उनका कहना है कि उद्यमियों को सरकारी कार्यालयों और कर्मचारियों के पास जाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. इस संबंध में एक नई प्रणाली विकसित की जा रही है जो औद्योगिक और कारोबारी मंजूरी के लिए एक सहज और सरल प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी.
सिंगल विंडो प्रणाली की अहमियत
मंत्री गोयल ने गुरुवार को नई दिल्ली में आयोजित उद्योग समागम में कहा कि देश में कारोबारी प्रक्रिया को सशक्त बनाने के लिए एक प्रभावी सिंगल विंडो प्रणाली की आवश्यकता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जबकि कई स्थानों पर सिंगल विंडो की अवधारणा है, वास्तविकता में उद्यमियों को उन विंडो पर सभी आवश्यक मंजूरी नहीं मिल पाती. गोयल ने बताया कि अगर सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश एक समान प्लेटफार्म पर आ जाएं तो यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सभी राज्यों में वैश्विक निवेश को आकर्षित किया जा सके.
राज्यों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता
पीयूष गोयल ने कहा कि राज्यों को औद्योगिक मंजूरी निर्धारित समय सीमा में आसानी से प्रदान करनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य मिलकर काम कर सकते हैं जिससे रोजगार के अधिक अवसर पैदा हो सकें. उन्होंने यह भी बताया कि केंद्र सरकार विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सभी राज्यों में समान अवसर प्रदान करने के प्रयास में लगी है, जिससे सभी राज्यों को लाभ हो रहा है.
विदेशी निवेश और राज्य के अच्छे चलन
गोयल ने राज्यों को सलाह दी कि औद्योगिक विकास के लिए जो अच्छे प्रथाएं अपनाई गई हैं, उनसे अन्य राज्यों को भी सीखने की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए, राजस्थान की पर्यटन नीति और सिक्किम की ऑर्गेनिक फार्मिंग नीति अन्य राज्यों के लिए प्रेरणास्त्रोत हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि राज्यों को इन नीतियों को अपनाकर अपने औद्योगिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए.
निर्यात प्रोत्साहन पर जोर
गोयल ने राज्यों से आग्रह किया कि निर्यात प्रोत्साहन केवल केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि राज्यों को भी इसमें सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए. इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी. उन्होंने घोषणा की कि आगामी 13 सितंबर को मुंबई में आयोजित बोर्ड ऑफ ट्रेड की बैठक में निर्यात प्रोत्साहन पर विशेष चर्चा की जाएगी.
कुल मिलाकर, मंत्री पीयूष गोयल का यह बयान औद्योगिक मंजूरी की प्रक्रिया में सुधार और रोजगार सृजन के लिए राज्यों और केंद्र सरकार के बीच बेहतर सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. उनका उद्देश्य है कि भारतीय उद्योग और व्यापार को एक सहज और सुविधाजनक वातावरण प्रदान किया जा सके, जो विदेशी निवेश को आकर्षित कर सके और रोजगार के अवसर बढ़ा सके.