पितृ पक्ष का समय हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू हो रहा है और यह 16 दिनों तक चलेगा. इस अवधि के दौरान, लोग अपने पूर्वजों की पूजा-अर्चना और तर्पण करते हैं. यह समय अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और पितृ दोष से मुक्ति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान कुछ विशेष चीजों का दान नहीं करना चाहिए, अन्यथा इससे जीवन में अशुभता और दुख आ सकते हैं.
पितृ पक्ष के दौरान दान से बचने योग्य चीजें
- सरसों का तेल: पितृ पक्ष के दौरान सरसों का तेल दान करना वर्जित माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसका दान करने से पूर्वज नाराज हो सकते हैं, जिससे जीवन में नकारात्मकता आ सकती है.
- वस्त्र: इस समय वस्त्रों का दान भी नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से भी अशुभ प्रभाव पड़ सकते हैं, और यह पितृ पक्ष की मान्यताओं के खिलाफ माना जाता है.
- तामसिक भोजन: तामसिक भोजन का दान इस समय नकारात्मकता का संकेत माना जाता है. यह पितृ पक्ष की पवित्रता को प्रभावित कर सकता है.
- लोहे की चीजें: लोहे की चीजों का दान भी पितृ पक्ष के दौरान वर्जित है। यह पूर्वजों की आत्मा के प्रति सम्मान की कमी को दर्शाता है.
- नुकीली वस्तुएं: नुकीली वस्तुएं जैसे कि चाकू, कैंची आदि का दान करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
पितृ पक्ष के दौरान की जाने वाली महत्वपूर्ण बातें
- नया सामान न खरीदें: पितृ पक्ष के दौरान नए कपड़े, जूते आदि खरीदना अशुभ माना जाता है. यह समय शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं होता है।
- पिंडदान: जिनकी कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें इस दौरान गया, उज्जैन या अन्य पवित्र स्थानों पर पिंडदान करना चाहिए. इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
- जानकार पुरोहित: पितृ तर्पण के लिए एक अनुभवी और जानकार पुरोहित को बुलाना चाहिए ताकि सभी धार्मिक क्रियाएं सही तरीके से संपन्न हों.
- पशुओं को भोजन: गाय, कौवे, कुत्ते और चींटियों को खाना खिलाना इस दौरान शुभ माना जाता है। यह पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अच्छा होता है.
- अशुभ कार्यों से बचें: इस अवधि में विवाह, सगाई आदि जैसे शुभ कार्यों को टालना चाहिए। यह समय इन कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है.
सावधानी और अंतिम विचार
इस लेख में दिए गए सुझाव और जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. पाठकों से अनुरोध है कि वे इन पर पूरी तरह से भरोसा न करें और अपने विवेक का उपयोग करें. विभिन्न धार्मिक ग्रंथों, पंचांग और मान्यताओं से प्राप्त जानकारी के आधार पर ही इन बातों पर ध्यान दें.