Olympics Symbol में 5 रिंग्स का क्या है मतलब
ओलंपिक खेलों का प्रतीक चिन्ह (सिंबल) पांच रिंगों से बना हुआ होता है. यह प्रतीक चिन्ह ओलंपिक खेलों की पहचान है और इसे दुनियाभर में खेल प्रेमियों द्वारा पहचाना जाता है. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इस प्रतीक में केवल पांच रिंग ही क्यों होते हैं और उनका मतलब क्या है? चलिए, इसके पीछे की कहानी और अर्थ को समझते हैं.
किसने तैयार किया था ये लोगो
ओलंपिक के पांच रिंगों का डिज़ाइन 1913 में पियरे डी कूबर्टिन नामक व्यक्ति ने तैयार किया था. पियरे डी कूबर्टिन आधुनिक ओलंपिक खेलों के संस्थापक थे. उन्होंने यह प्रतीक चिन्ह ओलंपिक आंदोलन के वैश्विक और समावेशी स्वभाव को दर्शाने के लिए बनाया था. पांच रिंगें पांच महाद्वीपों का प्रतीक मानी जाती हैं: अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, यूरोप और ओशिनिया. यह रिंगें एक-दूसरे के साथ इंटरलॉक (जुड़ी हुई) होती हैं, जो विभिन्न महाद्वीपों और देशों के बीच की एकता और भाईचारे का प्रतीक हैं. ओलंपिक खेलों का मुख्य उद्देश्य ही विभिन्न देशों और संस्कृतियों को एक मंच पर लाकर खेल के माध्यम से आपसी सद्भावना और सहयोग को बढ़ावा देना है.
क्या है इन पांच रिंग्स का मतलब
इन पांच रिंगों के रंग भी महत्वपूर्ण हैं. नीला, पीला, काला, हरा और लाल रंगों की रिंगें सफेद पृष्ठभूमि पर होती हैं. ये छह रंग (सफेद पृष्ठभूमि सहित) इस कारण चुने गए थे क्योंकि उस समय किसी भी देश के राष्ट्रीय ध्वज में से कम से कम एक रंग इन छह रंगों में से होता था. इस प्रकार, ओलंपिक के प्रतीक चिन्ह में सभी देशों का प्रतिनिधित्व शामिल किया गया था, जो इसे वास्तव में वैश्विक प्रतीक बनाता है.
ओलंपिक के पांच रिंगें केवल एक सिंबल ही नहीं हैं, बल्कि वे ओलंपिक के मूल्यों को भी दर्शाती हैं. यह रिंगें प्रतियोगिता, एकता, मित्रता, खेल भावना और सम्मान के प्रतीक है. यह प्रतीक हमें याद दिलाता है कि खेल न केवल शारीरिक और मानसिक विकास का माध्यम है, बल्कि यह विभिन्न संस्कृतियों और समाजों को एक-दूसरे के करीब लाने का भी एक महत्वपूर्ण साधन है.