निर्भया कांड के बाद भी बसों में महिला सुरक्षा के दावे रहे अधूरे

Nirbhaya Murder Case

दिल्ली में 2012 के निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए थे. उस समय सरकार ने रोडवेज बसों में महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर पैनिक बटन लगाने की योजना बनाई थी. लेकिन यह योजना आज तक अधूरी ही रह गई है, जिससे महिला सुरक्षा का मामला जस का तस बना हुआ है.

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पैनिक बटन योजना बनी शोपीस

निर्भया फंड से 71 करोड़ रुपये की लागत से दिल्ली की रोडवेज बसों में पैनिक बटन लगाने की योजना बनाई गई थी. इसका उद्देश्य था कि जरूरत पड़ने पर महिला यात्री पैनिक बटन दबाएं और पुलिस तुरंत सहायता के लिए पहुंच जाए. लेकिन इन पैनिक बटनों को अब तक पुलिस कंट्रोल रूम या सेंट्रलाइज्ड कमांड सेंटर से जोड़ा नहीं जा सका है. इसके कारण ये पैनिक बटन मात्र शोपीस बनकर रह गए हैं.

इंटरनेट की कमी बनी बाधा

पैनिक बटनों को प्रभावी बनाने के लिए इन्हें इंटरनेट से जोड़ना जरूरी था. हालांकि, परिवहन निगम ने बसों में टिकट काटने के लिए एंड्रॉयड ई-टिकट मशीनें तो उपलब्ध कराई हैं, जिनमें इंटरनेट की सुविधा है. लेकिन पैनिक बटन के लिए इंटरनेट की सुविधा प्रदान नहीं की गई. इसी कारण से ये बटन नेटवर्क से नहीं जुड़ सके और अब बसों में लगे पैनिक बटन खराब होने लगे हैं.

पैनिक बटन का गलत इस्तेमाल

दिल्ली की रोडवेज बसों में लगे पैनिक बटनों का इस्तेमाल आज परिचालक बस रोकने के लिए कर रहे हैं, जो कि महिला सुरक्षा के उद्देश्य को पूरी तरह से विफल कर देता है. बस चालक भी इन्हें बंद रखकर अपने ही तरीके से काम कर रहे हैं. इस सबके बीच, पैनिक बटन की उपयोगिता पर सवाल खड़े हो गए हैं.

अधिकारियों की योजना और वादे

आगरा के क्षेत्रीय प्रबंधक बीपी अग्रवाल ने बताया कि पैनिक बटन लगाने की योजना केंद्र सरकार की थी और इसे योजनाबद्ध तरीके से लागू किया गया था. आने वाले समय में इन पैनिक बटनों को इंटरनेट के माध्यम से कंट्रोल रूम से जोड़ा जाएगा. हालांकि, यह कब तक होगा, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है.

निर्भया फंड और सरकारी असमंजस

2013 में केंद्र सरकार ने निर्भया फंड बनाया था, जिसका उद्देश्य राज्यों को महिला सुरक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना था. लेकिन इस फंड का वितरण कैसे हो, इसे लेकर केंद्र और राज्यों के बीच पांच साल तक असमंजस की स्थिति बनी रही. दिल्ली सरकार का दावा है कि उन्हें इस फंड से एक भी पैसा नहीं मिला, जबकि महिला सुरक्षा को लेकर कई बार केंद्र को पत्र भेजे गए थे.

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राज्य सरकारों की नाकामी और सफलता

निर्भया फंड के तहत महिलाओं की सुरक्षा के लिए तत्काल कानूनी सहायता देने और आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने के दावे किए गए थे. हालांकि, इन दावों पर कुछ राज्य सरकारें सफल रहीं, लेकिन कई जगह सुधार की अभी भी जरूरत है. दिल्ली सरकार ने अपने फंड से बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन लगाए हैं, लेकिन इस कदम की प्रभावशीलता अब तक सवालों के घेरे में है.

महिलाओं की सुरक्षा पर अभी भी सवाल

दिल्ली में महिला सुरक्षा के लिए किए गए करोड़ों रुपये के निवेश के बावजूद, पैनिक बटन योजना आज भी अधूरी है. सरकार के दावे और योजनाएं कागजों तक ही सीमित रह गए हैं, जबकि बसों में महिलाओं की सुरक्षा जस की तस बनी हुई है. यह स्थिति न केवल सरकार के प्रयासों पर सवाल उठाती है, बल्कि महिला सुरक्षा की वर्तमान स्थिति पर भी गंभीर चिंताएं पैदा करती है.

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