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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का नियम लागू करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है. सरकार को विश्वास है कि इसे लागू करने में सभी राजनीतिक दलों का समर्थन मिलेगा. एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर यह जानकारी सामने आई है.

क्या है ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’?
एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की अवधारणा का मकसद है कि देश में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं. इससे बार-बार होने वाले चुनावों पर खर्च होने वाले संसाधनों की बचत होगी और विकास कार्यों में बाधा नहीं आएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का जोरदार समर्थन किया है और इसे देश की प्रगति के लिए आवश्यक बताया है.
प्रधानमंत्री की वकालत
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि बार-बार होने वाले चुनाव देश की विकास यात्रा में रुकावट पैदा कर रहे हैं. मोदी ने अपने संबोधन में राजनीतिक दलों से आग्रह किया था कि वे इस मुद्दे पर सहमति बनाएं ताकि संसाधनों का सही इस्तेमाल हो सके और देश की प्रगति को तेज किया जा सके.
भविष्य की योजना
सूत्रों के अनुसार, एनडीए सरकार इस नियम को जल्द ही लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार के अनुसार, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का सपना इसी कार्यकाल में साकार किया जाएगा. साथ ही, यह भी माना जा रहा है कि इस योजना को लागू करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों से चर्चा और संवाद की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है.
पैनल की सिफारिश
इस साल मार्च में, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय पैनल ने इस विषय पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की थी. पैनल ने स्थानीय निकाय चुनाव भी 100 दिनों के भीतर कराने का सुझाव दिया था, जिससे इस नियम का पहला चरण लागू हो सके.

निष्कर्ष
एक राष्ट्र, एक चुनाव’ भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है, जिससे चुनावी खर्च में कटौती होगी और विकास कार्यों को अधिक समय मिलेगा. एनडीए सरकार इसे अपने कार्यकाल में लागू करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इसे कितनी जल्दी वास्तविकता में बदला जा सकता है.