नवरात्र के दूसरे दिन की महिमा
शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन (Navratri 2024 Day 2) विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधिपूर्वक की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता की आराधना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है. मां ब्रह्मचारिणी तप, संयम और साधना की प्रतीक मानी जाती हैं, जिनकी भक्ति से व्यक्ति को आत्मबल और संयम प्राप्त होता है.
शिववास योग का दुर्लभ संयोग
नवरात्र के दूसरे दिन इस साल शिववास योग का विशेष संयोग बन रहा है। यह योग दिनभर रहेगा और इसका समापन 5 अक्टूबर को सुबह 5:30 बजे होगा. इस योग के दौरान भगवान शिव और माता महागौरी कैलाश पर्वत पर विराजमान रहते हैं. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, शिववास योग में शिव-शक्ति की पूजा करने से साधक की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और आय में वृद्धि होती है। इस योग में पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
दूसरे दिन के शुभ करण और नक्षत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन द्वितीया तिथि पर बालव और कौलव करण का निर्माण हो रहा है, जिन्हें ज्योतिष शास्त्र में शुभ माना गया है. इसके साथ ही, चित्रा नक्षत्र का संयोग भी इस दिन विशेष फलदायक माना जा रहा है. इन योगों में की गई पूजा साधक को माता की विशेष कृपा दिलाती है.
शुभ मुहूर्त और पंचांग
वैदिक पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि 4 अक्टूबर की रात 2:59 बजे से प्रारंभ होकर 5 अक्टूबर की सुबह 5:30 बजे तक रहेगी. इस दिन पूजा के लिए कुछ विशेष मुहूर्त बताए गए हैं, जिनमें पूजा करने से विशेष लाभ मिलेगा.
- सूर्योदय: सुबह 6:16 बजे
- सूर्यास्त: शाम 6:47 बजे
- चन्द्रोदय: सुबह 7:25 बजे
- चन्द्रास्त: शाम 6:47 बजे
विशेष मुहूर्त:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:38 से 5:27 तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:07 से 2:55 तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:03 से 6:28 तक
- निशिता मुहूर्त: रात 11:45 से 12:34 तक
निष्कर्ष
नवरात्र के दूसरे दिन शिववास योग और अन्य शुभ संयोग साधकों के लिए अत्यधिक लाभकारी हैं. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और शिव-शक्ति की आराधना करने से जीवन में शांति, समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति होती है.