कन्या पूजन का महत्व
नवरात्र का समय विशेष रूप से मां दुर्गा की आराधना और पूजा का होता है. नवदुर्गा की पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है. अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. अष्टमी तिथि को माता महागौरी की और नवमी तिथि को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इस दौरान कन्याओं को विशेष उपहार दिए जाते हैं जिससे माता रानी प्रसन्न होती हैं और उनका आशीर्वाद बना रहता है.
अष्टमी और नवमी तिथि कब है?
इस वर्ष सप्तमी और अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर, गुरुवार को पड़ रही हैं. मान्यताओं के अनुसार, सप्तमी और अष्टमी का व्रत एक ही दिन नहीं करना चाहिए. इस कारण इस वर्ष अष्टमी और नवमी दोनों तिथियां 11 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएंगी.
कन्या पूजन के उपहार
कन्या पूजन के दौरान छोटी बालिकाओं को कुछ उपहार देना शुभ माना जाता है. कुछ उपहार जो आप कन्या पूजन के दौरान बच्चियों को दे सकते हैं:
- मां दुर्गा की तस्वीर: इससे बालिकाओं के जीवन में देवी का आशीर्वाद बना रहता है.
- चूड़ियां और बिंदी: ये चीजें कन्याओं के लिए शुभ मानी जाती हैं.
- कपड़े या चुनरी: पारंपरिक वस्त्र या चुनरी देने से माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
- मिठाई और फल: कन्याओं को मिठाई और फल देकर उनका स्वागत करना शास्त्रों में शुभ माना गया है.
- धन: कन्याओं को धन भी दिया जा सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है.
पूजन विधि
कन्या पूजन के दिन सबसे पहले बालिकाओं के पैर धोकर उनका स्वागत किया जाता है. उन्हें मां दुर्गा का रूप मानकर पूजा की जाती है. इसके बाद उन्हें भोजन और उपहार देकर विदा किया जाता है. इस प्रकार से किया गया कन्या पूजन भक्तों के जीवन में समृद्धि और सुख-शांति लाता है.
नवरात्र के दौरान किए गए इस पूजन से माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.