भारत में एसीसी बैटरी मैन्युफैक्चरिंग का भविष्य
भारत में एसीसी (एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल) बैटरी और संबंधित उपकरणों के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में आगामी पांच वर्षों में 90 अरब डॉलर (लगभग 7.5 लाख करोड़ रुपये) का निवेश होने की उम्मीद जताई जा रही है. इस निवेश से भारत को उच्च तकनीकी बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में एक प्रमुख स्थान प्राप्त होगा और इससे 50 हजार नई नौकरियां सृजित होने की संभावना है. यह जानकारी उद्योग से जुड़े एक डाटा रिपोर्ट में सामने आई है.
विदेशी विशेषज्ञों के लिए विशेष वीजा
इंडिया एनर्जी स्टोरेज अलायंस (आइईएसए) की मांग पर, भारतीय सरकार ने एसीसी मैन्युफैक्चरिंग संयंत्रों की स्थापना और संचालन में मदद के लिए विदेशी विशेषज्ञों को छह महीने का वीजा देने की मंजूरी दी है. इस विशेष वीजा के तहत, विदेशी विशेषज्ञ कई बार भारत आ-जा सकेंगे, लेकिन इसकी अवधि बढ़ाई नहीं जाएगी. इस कदम से एसीसी बैटरी आयात पर खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की बचत होगी और इससे चीन व अन्य देशों पर भारत की निर्भरता कम होगी.
ईवी मैन्युफैक्चरिंग में भारत की स्थिति
ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) मैन्युफैक्चरिंग की लगभग 50 प्रतिशत लागत एसीसी बैटरी से जुड़ी होती है. इस संदर्भ में, भारी उद्योग मंत्रालय ने 2022 में एक PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना पेश की थी, जिसका उद्देश्य 50 गीगावाट घंटा क्षमता के स्वदेशी एसीसी मैन्युफैक्चरिंग संयंत्रों की स्थापना करना है. इस योजना का उद्देश्य भारत को वैश्विक इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनाने के लिए एक व्यापक और स्वदेशी वैल्यू चेन विकसित करना है.
आइईएसए का समर्थन
आइईएसए के प्रेसिडेंट, देबी प्रसाद दाश ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इससे भारत में एसीसी बैटरी और बैटरी उपकरण संयंत्रों की स्थापना में मदद मिलेगी. अगले पांच वर्षों में 100 गीगावाट घंटा से अधिक क्षमता वाले संयंत्र स्थापित होने के अवसर बढ़ेंगे. इससे न केवल तकनीकी उन्नति होगी, बल्कि घरेलू बाजार में स्वदेशी उत्पादों की उपलब्धता भी बढ़ेगी.
आर्थिक और रणनीतिक लाभ
इस निवेश से भारत को वैश्विक बैटरी बाजार में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का अवसर मिलेगा. इससे न केवल स्थानीय उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी स्वायत्तता में भी सुधार होगा. एसीसी बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के इस विस्तृत निवेश से भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत उद्योगकेंद्र बनने में मदद मिलेगी.
इस तरह के आर्थिक और औद्योगिक विकास से न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी वृद्धि होगी, जो देश के समग्र आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है.