Olympic 2024: मनु भाकर ने निशानेबाजी में जीता ब्रोंज मेडल और रच डाला एक नया इतिहास

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इस बार 2024 के ओलंपिक गेम्स पेरिस में आयोजित किए गए हैं. भारतीय महिला मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक 2024 में ब्रोंज पदक को प्राप्त किया है. मनु भाकर को ब्रोंज मेडल शूटिंग के खेल में मिला है इसकी खास बात यह है कि 2012 के बाद शूटिंग में भारत को पहला पदक अब मिला है. इससे पहले दो बार ओलंपिक में भारत को शूटिंग में कोई पदक नहीं मिल पाया था.

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भारतीय महिला मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक 2024 में जीता ब्रोंज पदक

भारत की पहली पदक जीतने वाली महिला निशानेबाज बनी

भारत में ओलंपिक के खेलों से जीत कर पदक लाने की शुरुआत मनु भाकर द्वारा शुरू हो चुकी है. मनु भाकर ने पेरिस में हो रहे ओलंपिक 2024 में निशानेबाजी में भारत को गौरवान्वित करते हुए ब्रोंज मेडल हासिल किया है. यह मैडल 10 मीटर एयर पिस्टल में मनु भाकर द्वारा जीता गया है. 2012 के बाद दो बार ओलंपिक में भारत को निशानेबाजी के खेल में हार का सामना करना पड़ा.

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निशानेबाजी में जीता ब्रोंज मेडल

मनु भाकर न सिर्फ 2012 के बाद निशानेबाजी के खेल में पदक जीतने वाली महिला है बल्कि इन्होंने निशानेबाजी के खेल में ब्रोंज पदक जीत कर भारत की पहली महिला निशानेबाज बनकर इतिहास रच दिया है. इससे पहले टोक्यो में आयोजित हुए ओलंपिक में पिस्टल खराब होने के कारण मनु भाकर फाइनल राउंड में हिस्सा नहीं ले पाई थी.

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टोक्यो में आयोजित हुए ओलंपिक में पिस्टल खराब होने के कारण मनु भाकर नहीं ले पाई थी फाइनल राउंड में हिस्सा .

अर्जुन की तरह सिर्फ लक्ष्य पर था ध्यान

मनु भाकर ने देश के लिए पदक जीतकर बहुत ही खुशी महसूस करने की बात कही. साथ ही आने वाले समय में शूटिंग और दूसरे खेलों में पदक जीतने की बात की कही. उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए पोडियम पर मेडल लेते वक्त इस पल को जीने के लिए जो संघर्ष और समस्याएं झेली उन सभी को भूल जाने के बारे में बताया.

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भारत की पहली पदक जीतने वाली महिला निशानेबाज बनी मनु

इसके अलावा उन्होंने मैच के दौरान खुद के नर्वस होने और कोई भी अनाउंसमेंट ना सुनने और और अर्जुन की तरह सिर्फ लक्ष्य पर पूरा ध्यान रखने की बात भी कहीं. यहां तक की जब उनका नाम ब्रोंज पदक के लिए अनाउंस किया गया तब उन्हें अपनी जीत का एहसास हुआ.

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10 मीटर एयर पिस्टल में भारत को मिला ब्रोंज

टोक्यो ओलंपिक में हारने का दुख बहुत दिनों तक रहा साथ

उन्होंने टोक्यो ओलंपिक के बाद बहुत परेशान होने की बात भी सांझा की. उनके द्वारा कहा गया कि जितना वह कर सकती थी वह उतना नहीं कर पाई. उसे ओलंपिक में ना जीत पाने का दुख उनके साथ काफी समय तक रहा. उनके द्वारा कहा गया थी वह अब इन दुखों को छोड़ आगे होने वाले मैचों पर अपना ध्यान केंद्रित कर चुके हैं क्योंकि जितना कोई व्यक्ति अपनी जीत से सीख पाता है उसे बहुत अधिक वह अपनी हार से सीखता है. इसके अलावा अपने कोच जसपाल राणा के बारे में बात करते हुए उन्होंने अपने कोर्ट से बहुत साहस सीखने और अपने कोच के हमेशा पॉजिटिव रहने के बारे में बताया. इसके अलावा आगे होने वाले दो इवेंट के बारे में बात करते हुए उन्होंने मैडल जीतने के पूरे प्रयास की बात करें.

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