मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले 10 वर्षों में बड़े बदलाव देखे हैं. सरकारी नोडल एजेंसी उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2024 के बीच 667.4 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया है, जो 2004-2014 के मुकाबले 119 प्रतिशत अधिक है. इसी दौरान, 2021-22 में पहली बार देश का वस्तु निर्यात 400 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया. इस कार्यक्रम ने न केवल आर्थिक विकास में योगदान दिया बल्कि भारत को निर्यातक देशों की सूची में भी महत्वपूर्ण स्थान दिलाया.
मेक इन इंडिया की शुरुआत और उद्देश्य
मेक इन इंडिया कार्यक्रम को वर्ष 2014 में मैन्युफैक्चरिंग, निवेश, इनोवेशन और कौशल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. इस पहल ने देश में नई औद्योगिक संरचनाएं स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. हालाँकि, इसमें अभी भी तेजी की आवश्यकता है, लेकिन शुरुआती परिणाम उत्साहजनक हैं.
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और निर्यात में वृद्धि
मेक इन इंडिया के माध्यम से 667.4 अरब डॉलर का एफडीआई देश में आया है. इस पहल के कारण ही 2021-22 में भारत ने पहली बार 400 अरब डॉलर के निर्यात का आंकड़ा पार किया. इसके अलावा, कई क्षेत्रों में भारत ने आयात से मुक्त होकर खुद को निर्यातक के रूप में स्थापित किया है. विशेष रूप से सेरामिक और खिलौना उद्योगों में भारत अब आत्मनिर्भर हो गया है.
उत्पादन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और अन्य प्रमुख सेक्टर
मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत उत्पादन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम शुरू की गई, जिससे ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा जैसे क्षेत्रों में उत्पादन में भारी वृद्धि हुई. एप्पल और फॉक्सकॉन जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत में अपने उत्पादन इकाइयां स्थापित कर रही हैं. साथ ही, अमेरिकी चिप निर्माता कंपनी माइक्रोन ने भी भारत में अपनी यूनिट लगाने का फैसला किया है.
मोबाइल निर्माण में भारत की बढ़ती ताकत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में उल्लेख किया कि 10 साल पहले देश में सिर्फ दो मोबाइल निर्माण यूनिट थीं, जबकि अब यह संख्या 200 से अधिक हो गई है. मोबाइल फोन निर्यात में 7500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2014 में मोबाइल फोन निर्यात मात्र 1556 करोड़ रुपये का था, जो अब 1.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. वर्तमान में देश में उपयोग होने वाले 99 प्रतिशत मोबाइल फोन भारत में निर्मित हैं, और भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माण देश बन गया है.
रक्षा और स्टील सेक्टर में आत्मनिर्भरता
मेक इन इंडिया के तहत भारत ने रक्षा क्षेत्र में भी बड़ी सफलता प्राप्त की है. जहां कभी बुलेटप्रूफ जैकेट तक के लिए भारत को आयात पर निर्भर रहना पड़ता था, अब वह खुद इसका निर्माण और निर्यात कर रहा है. इसके अलावा, पिछले 10 सालों में फिनिश्ड स्टील के उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जिससे भारत एक बड़ा निर्यातक बन गया है.
भविष्य की योजनाएं और लक्ष्य
डीपीआईआईटी के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया के अनुसार, मेक इन इंडिया के जरिए प्रतिवर्ष 60-70 अरब डॉलर का एफडीआई आ रहा है, और भविष्य में यह आंकड़ा 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. अगले कुछ वर्षों में भारत की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी को 25 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है. छोटे शहरों में औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए लॉजिस्टिक सुविधाओं का विकास किया जा रहा है.
मेक इन इंडिया कार्यक्रम से देश की औद्योगिक संरचना को नई दिशा मिल रही है, और भारत वैश्विक बाजार में एक बड़ी ताकत के रूप में उभर रहा है.