कांग्रेस के शासन में हुई थी कई दिग्गजों की lateral entry एंट्री
कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में कई दिग्गजों की lateral entry हुई थी. सरकारी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के शासनकाल में सरकार में शामिल होने वाले लोगों में सैम पित्रोदा, कौशिक बसु ,कृष्णमूर्ति ,विमल जालान, रघुराम राजन ,मोंटेक सिंह अहलूवालिया सहित कई दिग्गज शामिल है. सैम पित्रोदा को 1980 में राजीव गांधी के शासनकाल के दौरान भारत में लाया गया था. उन्होंने देश की दूरसंचार क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उन्होंने राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष और सार्वजनिक सूचना संरचना और नवाचार पीएम के सलाहकार के रूप में कार्य किया है. विमल जालान ने आईएमएफ और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में, और इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर 1997- 2003 के रूप में कार्य किया। प्रमुख एकेडमिक अर्थशास्त्री कौशिक बसु को 2009 में सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था तथा बाद में उन्हें विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री नियुक्त किया गया रघुराम राजन ने 2013 से 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया था उन्हें 2012 में वित्त मंत्रालय में सीईए नियुक्त किया गया था.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी हुई थी लेटरल एंट्री
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 1971 में लैटरल एंट्री के जरिए सरकार में एंट्री हुई थी ,मनमोहन सिंह को विदेश व्यापार मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया बाद में उन्होंने भारत के आर्थिक उदारीकरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1991 में वह वित्त मंत्री बने। उन्हे कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में दो कार्यकालों के दौरान प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया वहीं पर टेक्नोक्रेट कृष्णमूर्ति ने भारत की औद्योगिक नीति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है उन्होंने पहले बी एच आई एल और इसके बाद मारुति उद्योग के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभाई है.
विपक्ष ने की आलोचना
लैटरल एंट्री की आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री और पार्टी के मुखिया चिराग पासवान ने इसे गलत करार देते हुए इस मामले को सरकार के समक्ष रखने की घोषणा की है, उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी लैटरल एंट्री के पक्ष में नहीं है, उन्होंने कहा यह भी कहा कि यह पूरी तरह से गलत है क्योंकि जहां भी सरकारी नियुक्तियां की जाती है वहां आरक्षण के प्रावधानों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सरकार का हिस्सा है इसलिए वह इस मामले को सरकार के समक्ष अवश्य उठाएंगे।
इस मामले में केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
इस मामले में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा है और कहा है कि, लैटरल एंट्री नीति की शुरुआत कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान ही हुई थी ,और अब कांग्रेस भ्रम फैलाने के लिए अपने ही द्वारा बनाई गई नीतियों की आलोचना कर रही है.
केंद्रीय मंत्रीअश्विनी वैष्णव ने कहा कि, लैटरल एंट्री नौकरशाही में कोई नई बात नहीं है 1970 के समय से कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान से लैटरल एंट्री होती रही है पूर्व प्रधानमंत्री और मोंटेक सिंह अहलूवालिया इसके प्रमुख उदाहरण है उन्होंने कहा कि नौकरशाही में लैटरल एंट्री के लिए 45 पद प्रस्तावित है
क्या होता है लेटरल एंट्री
लेटरल एंट्री का मतलब है, निजी क्षेत्र में कर्मचारियों को सरकारी प्रशासनिक पदों पर चुना जाना ,यह चयन नौकरशाही व्यवस्था के अंतर्गत नहीं होता है। लेटरल एंट्री के जरिए केंद्र सरकार के मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों निर्देशकों ,अप सचिवों आदि के पदों पर नियुक्ति की जाती है।
बता दे कि यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था जिसमें लैटरल एंट्री के जरिए 45 ,जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली गई है लैटरल एंट्री में कैंडिडेट बिना यूपीएससी की परीक्षा दिए ही रिक्रूट किए जाते हैं इसमें आरक्षण के नियमों का लाभ भी नहीं मिलता है तभी से यह मामला विवादों में आया है।