पश्चिम बंगाल सरकार का बड़ा कदम
पश्चिम बंगाल सरकार ने दुष्कर्म के मामलों में सख्ती दिखाते हुए एक नया विधेयक पेश किया है. मंगलवार (3 सितंबर) को विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन, ममता बनर्जी की सरकार ने ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) बिल 2024’ को सदन में प्रस्तुत किया. इस विधेयक में दुष्कर्म के दोषियों को 10 दिनों के भीतर फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है.
विधेयक की विशेषताएँ
इस विधेयक का उद्देश्य दुष्कर्म के मामलों में त्वरित और सख्त न्याय सुनिश्चित करना है. विधेयक के अनुसार, दुष्कर्म के मामलों की जांच 36 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी. यदि पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या कोमा में चली जाती है, तो दोषी को मृत्युदंड (फांसी) दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त, दोषी को उम्रकैद की सजा दी जाएगी, जिसमें उसे बिना पैरोल के पूरी उम्र जेल में रहना होगा.
विधेयक का समर्थन और विपक्ष
भाजपा के विधायकों ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है. भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने कहा कि उनकी पार्टी ने ममता बनर्जी के इस विधेयक का समर्थन करने का निर्णय लिया है. विधेयक के पारित होने के बाद, यह राज्यपाल के पास भेजा जाएगा और फिर कानून का रूप लेगा.
अपराजिता विधेयक की उद्देश्यों और प्रावधान
इस विधेयक का नाम ‘अपराजिता’ रखा गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की रोकथाम और दोषियों को त्वरित न्याय प्रदान करना है. विधेयक में भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं में संशोधन का प्रस्ताव है, जिनमें रेप, गैंगरेप, और मर्डर शामिल हैं.
विधेयक से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
- प्योरिज्म: विधेयक में विशेष अदालतों और विशेष जांच टीमों का गठन करने का प्रस्ताव है, जो दुष्कर्म और यौन शोषण के मामलों की तेजी से जांच करेंगी.
- जांच की समयसीमा: रेप के मामलों की जांच 21 दिन के भीतर पूरी की जानी चाहिए, जिसे 15 दिन और बढ़ाया जा सकता है.
- आदतन अपराधी: आदतन अपराधियों के लिए उम्र कैद का प्रावधान है, जिसमें उन्हें अपनी पूरी उम्र जेल में रहना होगा.
- मीडिया रिपोर्टिंग: रेप केस की मीडिया रिपोर्टिंग के लिए कोर्ट की अनुमति जरूरी होगी. बिना अनुमति के रिपोर्टिंग करने पर जुर्माना और 3 से 5 साल की सजा का प्रावधान है.
आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद उठाया कदम
यह विधेयक कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में एक महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद पेश किया गया है. इस घटना ने प्रदेश में गहरा आक्रोश उत्पन्न किया था और इसके विरोध में चिकित्सकों ने लगातार प्रदर्शन किए थे. ममता सरकार ने इस विधेयक के माध्यम से दुष्कर्म के मामलों में त्वरित और कठोर सजा देने का संकल्प लिया है.
निष्कर्ष
पश्चिम बंगाल सरकार का ‘अपराजिता’ विधेयक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के प्रति अपनी सख्त नीति को दर्शाता है. यदि यह विधेयक पारित होता है, तो इसका प्रभावी कार्यान्वयन दुष्कर्म के मामलों में न्याय की प्रक्रिया को तेज और सख्त बना सकता है. विधेयक की पारदर्शिता और त्वरित न्याय की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.