कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेल सफर जल्द होगा शुरू: त्रिकुटा पर्वत के नीचे से गुजरेंगी ट्रेनें

Biggest Railway Tunnel

जल्द शुरू होगा कश्मीर से कन्याकुमारी का रोमांचक रेल सफर

भारत का सबसे प्रतीक्षित और रोमांचक रेल सफर, कश्मीर से कन्याकुमारी तक, जल्द ही हकीकत बनने वाला है. यह सफर मां वैष्णो देवी के चरणों से होकर गुजरेगा, जहां त्रिकुटा पर्वत के नीचे एक लंबी सुरंग तैयार की जा रही है. यह सुरंग रियासी को कटड़ा से जोड़ने के लिए बनाई जा रही है, और इसके पूरा होते ही कश्मीर घाटी का भारत के बाकी हिस्सों से सीधा रेल संपर्क हो जाएगा.

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सुरंग का काम अंतिम चरण में

त्रिकुटा पर्वत के नीचे बनाई जा रही इस सुरंग का काम अब अंतिम चरण में है. सुरंग की खुदाई का काम दिसंबर 2023 में ही पूरा हो चुका था. अब इसमें जल निकास प्रणाली, प्लास्टर, बिजली, वेंटिलेशन, सिग्नल, निगरानी व सुरक्षा प्रणाली, और ट्रैक बिछाने का काम चल रहा है. यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो यह काम अगले दो महीनों में पूरा हो जाएगा, जिससे दिवाली तक इस सुरंग से ट्रेनों का संचालन शुरू हो सकेगा.

रियासी से कटड़ा तक रेलवे ट्रायल सफल

रियासी से संगलदान तक का रेलवे ट्रायल सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है. अब रेलवे का सारा ध्यान कटड़ा से रियासी तक के 19 किलोमीटर के रेलखंड को जोड़ने पर है। इस रेलखंड का निर्माण पूरा होते ही कश्मीर घाटी का देश के बाकी हिस्सों से सीधा रेल संपर्क हो जाएगा. 272 किलोमीटर की ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना के तहत 77 प्रतिशत हिस्से में पहले ही रेल संचालन शुरू हो चुका है. अब बचा हुआ 44 किलोमीटर का ट्रैक जल्द ही तैयार होने वाला है.

रेलवे सुरक्षा आयुक्त का निरीक्षण

रेलवे सुरक्षा आयुक्त दिनेश चंद देशवाल ने हाल ही में इस रेलखंड का निरीक्षण किया. उन्होंने इस प्रोजेक्ट के विभिन्न हिस्सों का जायजा लिया और उम्मीद जताई कि इस माह के अंत तक इस रेलखंड पर ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा. कटड़ा से रियासी के बीच के इस 19 किलोमीटर के रेलखंड का 60 प्रतिशत काम पहले ही पूरा हो चुका है। बचा हुआ काम भी जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है.

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त्रिकुटा पर्वत के नीचे से गुजरेगा रेल मार्ग

यह परियोजना न केवल तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है. यह रेल मार्ग त्रिकुटा पर्वत के नीचे से होकर गुजरेगा, जहां मां वैष्णो देवी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है. इस मार्ग से गुजरते हुए यात्री मां वैष्णो देवी के चरणों से आशीर्वाद लेते हुए अपनी यात्रा पूरी करेंगे। यह सफर यात्रियों के लिए एक अनूठा और अद्भुत अनुभव साबित होगा.

कटड़ा से विभिन्न स्टेशनों की दूरी

रेल मार्ग के तहत कटड़ा से रियासी तक की दूरी 19 किलोमीटर है. इसके बाद रियासी से बक्कल 6 किलोमीटर, बक्कल से डुग्गा 11 किलोमीटर, डुग्गा से सावलाकोट 14 किलोमीटर, और सावलाकोट से संगलदान 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह रेल मार्ग न केवल कश्मीर घाटी को बाकी देश से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा, बल्कि इसे धार्मिक पर्यटन के लिहाज से भी महत्वपूर्ण बनाएगा.

दिवाली तक होगा काम पूरा

रेलवे परियोजना के तहत त्रिकुटा पर्वत के नीचे बनाई जा रही इस सुरंग के पूरा होने का इंतजार अब जल्द ही खत्म होने वाला है. इस साल दिवाली तक इस सुरंग का काम पूरा हो जाएगा और फिर कश्मीर घाटी से कन्याकुमारी तक का सफर और भी आसान और सुगम हो जाएगा. यह सफर न केवल तेज और सुरक्षित होगा, बल्कि मां वैष्णो देवी के आशीर्वाद से भी भरा होगा, जिससे यात्रियों को एक अद्भुत अनुभव मिलेगा.

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