कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा सोमवार को किए गए एक महत्वपूर्ण निर्णय ने वहां रहने वाले भारतीयों की चिंता बढ़ा दी है. ट्रूडो ने घोषणा की है कि कनाडा में अस्थायी नौकरी करने वाले विदेशी श्रमिकों की संख्या में कमी की जाएगी. इस निर्णय का सीधा असर उन भारतीय युवाओं पर पड़ेगा जो कनाडा में अस्थायी काम कर रहे हैं.
अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या में कमी
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “हम कनाडा में कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या को घटा रहे हैं. हमारे देश का लेबर मार्केट काफी बदल गया है और अब समय आ गया है कि हमारी कंपनियां कनाडाई श्रमिकों और युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार प्रदान करें.” इस फैसले से कनाडा में काम कर रहे कई भारतीय युवा प्रभावित होंगे, जिनमें से अधिकांश छोटे-मोटे व्यवसायों और कंपनियों में काम करते हैं.
कनाडा में भारतीयों की बढ़ती संख्या
रिपोर्ट्स के अनुसार, अगस्त 2024 के अंत तक कनाडा में भारतीयों की संख्या 20 लाख तक पहुंचने की संभावना है. 2022 में 118,095 भारतीयों ने कनाडा में स्थायी निवास प्राप्त किया, जबकि 59,503 लोगों ने कनाडाई नागरिकता ग्रहण की। 2024 की पहली तिमाही में कनाडा ने 37,915 नए भारतीय स्थायी निवासियों को प्रवेश दिया, जो 2023 की पहली तिमाही की तुलना में 8,175 कम है. यह संख्या भारतीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है, खासकर जब से कनाडा में अस्थायी श्रमिकों की संख्या घटाई जा रही है.
खालिस्तान समर्थकों और भारत की बढ़ती चिंता
कनाडा में अधिकांश अस्थायी विदेशी श्रमिक भारतीय सिख समुदाय से हैं, जो वहां पर छोटे-मोटे कारोबार और कंपनियों में काम करते हैं. जस्टिन ट्रूडो के इस निर्णय के साथ-साथ, कनाडा में हाल ही में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियाँ भी भारत की चिंता को बढ़ा रही हैं. कुछ समय पहले, कनाडा में हिंदू पूजा स्थलों पर हमले हुए थे, जिनमें से एक घटना एडमोंटन के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में हुई थी. इस मंदिर पर भारत विरोधी नारे लिखे गए और भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य पर भी हमला किया गया. इस घटना के लिए खालिस्तान समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिससे भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है.
भारत की प्रतिक्रिया और भविष्य की स्थिति
जस्टिन ट्रूडो के फैसले और खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों के बीच भारत की चिंता बढ़ गई है. भारतीय समुदाय के लिए कनाडा में नौकरी प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, और इस स्थिति से भारत और कनाडा के संबंधों पर भी असर पड़ सकता है. भारतीय नागरिकों की बढ़ती संख्या और उनके कार्यस्थलों पर प्रभाव के साथ-साथ, कनाडा के नए श्रम नीतियों के तहत भारतीय युवाओं की रोजगार संभावनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है.
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का निर्णय कनाडा में अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या कम करने का भारतीय समुदाय के लिए एक बड़ा झटका है. इस फैसले के साथ-साथ खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों और हाल की घटनाओं ने भारतीयों की चिंता को और बढ़ा दिया है. भारतीय युवाओं को अब कनाडा में नौकरी पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जो उन्हें भविष्य में कई चुनौतियों का सामना करवा सकता है.