भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों को लेकर एक स्पष्ट और तीखा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अब पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग समाप्त हो चुका है. जयशंकर ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की किसी भी कार्रवाई का परिणाम होगा, और भारत उसे उसी की भाषा में जवाब देगा.
पाकिस्तान के साथ बातचीत का युग समाप्त
एक नई किताब के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ पूर्व की तरह निर्बाध बातचीत अब संभव नहीं है. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत का युग समाप्त हो गया है. जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, अनुच्छेद 370 समाप्त हो चुका है. आज सवाल यह है कि हम पाकिस्तान के साथ किस प्रकार के रिश्ते बनाना चाहते हैं.”
पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देंगे
जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ बातचीत की स्थिति पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, “अब लोग कहते हैं कि भारत ही बातचीत नहीं चाहता. इसमें कुछ हद तक सच्चाई भी हो सकती है। पाकिस्तान चाहे सकारात्मक कदम उठाए या नकारात्मक, हम उसे उसी की भाषा में जवाब देंगे।” विदेश मंत्री का यह बयान भारत की ठोस और निर्णायक स्थिति को दर्शाता है जो पाकिस्तान द्वारा की गई किसी भी नकारात्मक गतिविधि पर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार है.
अफगानिस्तान के साथ मजबूत संबंध
जयशंकर ने अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों को भी उजागर किया. उन्होंने कहा, “जहां तक अफगानिस्तान का सवाल है, हमारे बीच सामाजिक स्तर पर एक मजबूत संबंध है. लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि अमेरिका की मौजूदगी वाला अफगानिस्तान और अमेरिका की मौजूदगी के बिना अफगानिस्तान दोनों बहुत अलग हैं. इस परिप्रेक्ष्य में, हम अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को सावधानीपूर्वक और रणनीतिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ाएंगे.”
बांग्लादेश में राजनीतिक परिवर्तन की चेतावनी
विदेश मंत्री ने बांग्लादेश की राजनीति पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि भारत को बांग्लादेश के साथ अपने हितों का ध्यान रखते हुए काम करना होगा. जयशंकर ने कहा, “बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद से हमारे रिश्ते में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं. वर्तमान सरकार के साथ हमें व्यवहारिक रहना होगा, लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि वहां राजनीतिक परिवर्तन हो सकते हैं जो विध्वंसकारी हो सकते हैं. हमें अपने हितों की पारस्परिकता पर ध्यान देना होगा और अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को इस प्रकार से तैयार करना होगा कि हमारे हित सुरक्षित रहें.”
निष्कर्ष
जयशंकर का यह बयान भारत की विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है. पाकिस्तान के साथ बातचीत का निर्बाध युग समाप्त कर, भारत अब एक नई और सख्त रणनीति के तहत अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने की कोशिश करेगा. साथ ही, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के साथ भारत की नीति में भी सावधानी और समझदारी की आवश्यकता पर बल दिया गया है.