श्रीहरिकोटा से EOS-08 सैटेलाइट का सफल लॉन्च
इसरो (ISRO) ने एक बार फिर से अंतरिक्ष की दुनिया में नया इतिहास रचते हुए धरती की निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण सैटेलाइट EOS-08 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से शुक्रवार सुबह किया गया. इस मिशन में EOS-08 के साथ एक छोटा सैटेलाइट SR-0 DEMOSAT भी लॉन्च किया गया, जो एक पैसेंजर सैटेलाइट है. इन दोनों सैटेलाइट्स को धरती से 475 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक गोलाकार ऑर्बिट में स्थापित किया गया है.
EOS-08 की भूमिका और विशेषताएं
EOS-08 मिशन का मुख्य उद्देश्य धरती की निगरानी करना है, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं से जुड़ी जानकारी एकत्रित करना, पर्यावरण की निगरानी करना और अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों का अवलोकन करना शामिल है. इस सैटेलाइट में तीन पेलोड्स लगे हैं, जो विभिन्न प्रकार की जानकारियां इकट्ठा करेंगे. यह सैटेलाइट प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करेगा, जिससे सरकार और संबंधित एजेंसियों को आपदा प्रबंधन में मदद मिलेगी.
EOS-08 में लगे पेलोड्स की विशेषताएं
EOS-08 में तीन प्रमुख पेलोड्स लगाए गए हैं:
- इलेक्ट्रो आप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (EOIR): यह पेलोड सैटेलाइट आधारित निगरानी, आपदा निगरानी और पर्यावरण निगरानी के लिए उपयोगी होगा. यह पृथ्वी की तस्वीरें खींचकर महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा.
- ग्लोबल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (GNSS-R): यह पेलोड समुद्र की सतह की हवा का विश्लेषण करने, मिट्टी की नमी का आकलन करने और बाढ़ का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग क्षमता को प्रदर्शित करेगा.
- सीआईसी यूवी डोसीमीटर: यह पेलोड गगनयान मिशन के तहत पराबैंगनी विकिरण की निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. यह भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा और अंतरिक्ष में विकिरण के प्रभावों को समझने में मदद करेगा.
SSLV-D3 मिशन की विशेषताएं और भविष्य की संभावनाएं
इसरो का यह SSLV-D3 मिशन लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान थी. इस मिशन के तहत EOS-08 सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया गया. SSLV यान का उपयोग छोटे और मझोले उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए किया जाता है. यह मिशन इसरो की क्षमता को और बढ़ाता है, जिससे छोटे उपग्रहों को जल्दी और आसानी से अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है.
SSLV का यह मिशन छोटे उपग्रहों के लॉन्च के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में अंतरिक्ष अनुसंधान और सैटेलाइट तकनीक के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा. इसरो के वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रकार के मिशन भविष्य में छोटे उपग्रहों के तेजी से प्रक्षेपण की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे.
ISRO की बड़ी सफलता
इसरो के इस सफल मिशन के साथ भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है. EOS-08 के सफल प्रक्षेपण से देश की सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में नई संभावनाएं उभरेंगी. इसरो के वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर पूरे देश को गर्व है, और यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित होगा.