आगामी हफ्ते में बाजार की दिशा तय करने वाले प्रमुख फैक्टर्स

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पिछले हफ्ते बाजार में तेजी

पिछले कारोबारी हफ्ते में भारतीय शेयर बाजार में शानदार तेजी देखने को मिली. सेंसेक्स और निफ्टी, दोनों ने अपने ऑल-टाइम हाई स्तर को छुआ। शुक्रवार को सेंसेक्स 1,359.51 अंक की बढ़त के साथ 84,544.31 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 375.15 अंक चढ़कर 25,790.95 अंक पर बंद हुआ. यह तेजी मुख्य रूप से अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के फैसले के बाद आई थी. इस निर्णय ने विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार की ओर आकर्षित किया, जिससे एफपीआई इनफ्लो में भी इजाफा हुआ.

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फेड के फैसले का असर

बाजार विश्लेषकों का कहना है कि अगले हफ्ते भी फेड की ब्याज दर कटौती का असर बाजार पर बना रह सकता है. रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के एसवीपी, रिसर्च, अजीत मिश्रा के अनुसार, फेड की नीतियों के अलावा निवेशकों को क्रूड ऑयल की कीमतों और विदेशी निवेशकों के फंड फ्लो पर नजर रखनी चाहिए. ये दोनों फैक्टर बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं.

ग्लोबल मार्केट और विदेशी निवेशक

अगले हफ्ते के कारोबारी सत्र में ग्लोबल मार्केट से मिलने वाले संकेत भी बाजार की दिशा तय करेंगे. बाजार विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की गतिविधियां भी बाजार को प्रभावित करेंगी. पिछले हफ्ते एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजार में 14,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था, जो बाजार के लिए एक सकारात्मक संकेत है. आने वाले दिनों में अगर विदेशी निवेशकों का रुझान इसी तरह बना रहता है, तो बाजार में और तेजी देखी जा सकती है.

डेरिवेटिव्स एक्सपायरी का असर

इस हफ्ते मंथली डेरिवेटिव एक्सपायरी होने के कारण भी बाजार में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है. डेरिवेटिव्स एक्सपायरी के दौरान बाजार में वोलैटिलिटी बढ़ सकती है, जिससे ट्रेडर्स और निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत होगी.

भू-राजनीतिक स्थिति और मैक्रोइकोनॉमिक डेटा

विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका के मैक्रोइकोनॉमिक डेटा और वैश्विक भू-राजनीतिक स्थिति का भी बाजार पर असर पड़ सकता है. अमेरिका में जारी होने वाले आर्थिक आंकड़े बाजार की चाल को प्रभावित कर सकते हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम से बाजार में अनिश्चितता बढ़ सकती है.

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निष्कर्ष

आगामी हफ्ते में बाजार की दिशा तय करने वाले कई महत्वपूर्ण फैक्टर्स होंगे, जिनमें ग्लोबल मार्केट संकेत, विदेशी निवेशकों की चाल, क्रूड ऑयल की कीमतें और डेरिवेटिव्स एक्सपायरी प्रमुख हैं. निवेशकों को इन सभी कारकों पर नज़र रखकर ही अपने निवेश निर्णय लेने चाहिए.

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