भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि मौजूदा आर्थिक परिदृश्य भारत की वृहद आर्थिक बुनियाद की मजबूती को दर्शाता है. उन्होंने उल्लेख किया कि निजी उपभोग और निवेश जैसे घरेलू तत्व अर्थव्यवस्था की मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. दास ने ये टिप्पणियां सिंगापुर में आयोजित फ्यूचर ऑफ फाइनेंस फोरम 2024 में कीं.

कोरोना संकट के बाद उबरने की कहानी
दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के गंभीर संकट से उबर गई है और 2021-24 के दौरान औसत वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर आठ प्रतिशत से अधिक रही. वर्तमान वित्त वर्ष (2024-25) के लिए, आरबीआई ने वास्तविक जीडीपी की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. उन्होंने यह भी बताया कि मुद्रास्फीति के बारे में केंद्रीय बैंक के अनुमानों से संकेत मिलता है कि यह 2024-25 में 4.5 प्रतिशत और 2025-26 में 4.1 प्रतिशत हो सकती है, जो कि 2023-24 में 5.4 प्रतिशत थी.
मुद्रास्फीति और उसके प्रबंधन पर विचार
दास ने बताया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में लगातार दूसरे महीने आरबीआई के चार प्रतिशत के औसत लक्ष्य से नीचे 3.65 प्रतिशत पर रही. जुलाई में यह आंकड़ा पांच साल के निचले स्तर 3.60 प्रतिशत पर था. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति घटने के बावजूद, हमें अभी भी बहुत दूर जाना है और सतर्क रहना होगा.
राजकोषीय मजबूती और कंपनियों की स्थिति
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि राजकोषीय मजबूती जारी है और मध्यम अवधि में सार्वजनिक ऋण का स्तर घट रहा है. कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार हुआ है, जिससे उनके कर्ज में कमी आई है और लाभ के कारण मजबूत वृद्धि संभव हुई है. दास ने यह भी कहा कि आरबीआई द्वारा विनियमित बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बहीखाते भी मजबूत हुए हैं. इन वित्तीय इकाइयों के परीक्षण से पता चलता है कि ये गंभीर तनाव परिदृश्यों में भी नियामकीय पूंजी और नकदी आवश्यकताओं को बनाए रखने में सक्षम होंगी.

वैश्विक सहयोग पर भारत का दृष्टिकोण
गवर्नर दास ने भारत के वैश्विक दृष्टिकोण पर जोर दिया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर बल दिया गया है. उन्होंने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता और उसके बाद के योगदान ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के दृष्टिकोण को दर्शाते हैं. भारत का दृष्टिकोण साझा वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों (जैसे विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) को मजबूत करना, डिजिटल सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से वित्तीय समावेश को बढ़ावा देना, निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए ऋण समाधान और भविष्य के शहरों के वित्तपोषण को शामिल करता है.
इस प्रकार, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और स्थिरता का परिचायक यह है कि देश ने महामारी के प्रभाव से उबरते हुए महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए हैं और भविष्य में भी वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है.