तीन सरकारी बैंकों ने बढ़ाई MCLR दरें, होम और ऑटो लोन की EMI में होगा इजाफा

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तीन प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों—बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक और यूको बैंक—ने हाल ही में मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में बढ़ोतरी की है, जिससे ग्राहकों पर कर्ज का बोझ बढ़ने वाला है। इस निर्णय से होम, ऑटो और पर्सनल लोन की मासिक किस्तों में बढ़ोतरी तय है.

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ब्याज दरों में बढ़ोतरी का कारण


बैंकों द्वारा MCLR दरों में की गई यह बढ़ोतरी 5 बेसिस प्वाइंट्स की है. बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक में यह परिवर्तन 12 अगस्त से प्रभावी होगा, जबकि यूको बैंक ने इसे 10 अगस्त से ही लागू कर दिया है. बैंक ऑफ बड़ौदा ने तीन महीने के लिए MCLR को 8.45% से बढ़ाकर 8.5% कर दिया है, जबकि छह महीने की अवधि के लिए यह दर 8.75% कर दी गई है. केनरा बैंक ने अपने एक साल के MCLR को 9% तक बढ़ा दिया है, जो पहले 8.95% था। इसी तरह, यूको बैंक ने एक महीने की अवधि के लिए MCLR को 8.3% से बढ़ाकर 8.35% कर दिया है.

ग्राहकों पर असर


इस फैसले से सबसे ज्यादा प्रभावित वे ग्राहक होंगे, जिन्होंने होम, ऑटो या पर्सनल लोन ले रखा है. MCLR दरों में हुई इस वृद्धि के कारण इन ग्राहकों की ईएमआई बढ़ जाएगी, जिससे उनकी मासिक आय पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा. ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते कर्ज की कुल लागत भी बढ़ जाएगी, जिससे कर्ज चुकाने में ग्राहकों को अधिक समय और धन खर्च करना पड़ेगा.

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RBI की मौद्रिक नीति


हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय लिया गया था. यह लगातार नौवीं बार है जब रेपो रेट को स्थिर रखा गया है, जिससे केंद्रीय बैंक ने कर्ज को न तो महंगा किया और न ही सस्ता किया. इसके बावजूद, सरकारी बैंकों ने अपने ग्राहकों पर कर्ज का बोझ बढ़ा दिया है. बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक और यूको बैंक जैसे प्रमुख बैंकों ने MCLR दरों में बढ़ोतरी करके लोन की ब्याज दरें बढ़ा दी हैं.

MCLR प्रणाली का महत्व


RBI द्वारा 2016 में पेश की गई MCLR प्रणाली, बैंकों के लिए एक बेंचमार्क दर के रूप में कार्य करती है, जिसके आधार पर वे अपने कर्ज की ब्याज दरें तय करते हैं. इस प्रणाली का उद्देश्य कर्जदारों को पारदर्शिता और सुरक्षा प्रदान करना है, लेकिन MCLR दरों में बढ़ोतरी से कर्जदारों को अधिक भुगतान करना पड़ता है. इस स्थिति में, उन ग्राहकों पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिनके लोन की ब्याज दरें MCLR पर आधारित होती हैं.

भविष्य की चुनौतियां


बढ़ती हुई MCLR दरें उन ग्राहकों के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं, जिनके लोन की पुनर्भुगतान अवधि लंबी है. इन ग्राहकों को अब अधिक ईएमआई का भुगतान करना पड़ेगा, जिससे उनकी वित्तीय योजना पर असर पड़ सकता है. ऐसे में, ग्राहकों को अपने कर्ज की रणनीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता होगी.

MCLR दरों में इस वृद्धि का असर केवल ग्राहकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इससे बैंकों की कर्ज वितरण प्रणाली और आर्थिक गतिविधियों पर भी असर पड़ेगा. इसलिए, यह आवश्यक है कि ग्राहक इस स्थिति के प्रति सचेत रहें और अपनी वित्तीय योजना को पुनः समायोजित करें.

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