विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2024: व्रत और कथा का महत्त्व

Ganesh ji

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. यह पर्व भगवान गणेश को समर्पित होता है, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि के देवता माने जाते हैं. इस दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना कर भक्त अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करते हैं. इस साल विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 21 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी.

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व्रत और पूजा का महत्व

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है. यह पर्व प्रत्येक महीने की चतुर्थी तिथि को आता है, लेकिन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है क्योंकि इसे विघ्नों को दूर करने वाला माना जाता है. जो व्यक्ति पूर्ण भक्ति और श्रद्धा के साथ इस दिन व्रत करता है और गणेश जी की पूजा करता है, उसके जीवन से सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गणेश जी की कथा सुनने से व्रत का संपूर्ण फल मिलता है.

व्रत कथा: देवी पार्वती और शिव जी की कथा

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है। एक बार देवी पार्वती और भगवान शिव नदी के किनारे बैठे थे. देवी पार्वती ने चौपड़ खेलने की इच्छा प्रकट की, लेकिन खेल में हार-जीत का निर्णय करने के लिए कोई तीसरा व्यक्ति नहीं था. इस पर शिव जी ने एक मिट्टी का बालक बनाया और उसमें प्राण डाल दिए ताकि वह खेल में निर्णायक की भूमिका निभा सके.

खेल शुरू हुआ और देवी पार्वती लगातार तीन बार विजयी हुईं, लेकिन मिट्टी के बालक ने भगवान शिव को विजयी घोषित कर दिया. यह सुनकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने बालक को श्राप देकर लंगड़ा बना दिया. बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने मां पार्वती से माफी मांगी, लेकिन उन्होंने कहा कि श्राप वापस नहीं लिया जा सकता.

श्राप से मुक्ति का उपाय

माता पार्वती ने बालक को बताया कि संकष्टी चतुर्थी के दिन कुछ कन्याएं पूजन के लिए आएंगी. उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछो और उनका अनुसरण करो. बालक ने ऐसा ही किया और विधिपूर्वक गणेश जी की पूजा की. इससे गणेश जी प्रसन्न हुए और उन्होंने बालक के सभी कष्टों को समाप्त कर दिया. इसके बाद बालक अपने जीवन को सुख और शांति से जीने लगा.

Ganpati Visarjan 2024

व्रत करने का विधान

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए और दिनभर निराहार रहकर गणेश जी की पूजा करनी चाहिए. व्रत की समाप्ति चंद्र दर्शन के बाद होती है, और इस दिन गणेश कथा का पाठ व सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है. गणेश जी की कृपा से व्रत करने वाले व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है.

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