China की स्टील डंपिंग बनी बड़ी समस्या : उद्योगों ने किया सरकार FTA की समीक्षा करने का आग्रह

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भारत में स्टील उद्योग वर्तमान में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें से एक प्रमुख समस्या चीन से स्टील का डंपिंग है. हाल ही में, उद्योग जगत ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) की समीक्षा करे, ताकि इस समस्या का समाधान किया जा सके.

स्टील उद्योग की वर्तमान स्थिति

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भारत का स्टील उद्योग देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. यह न केवल लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है, बल्कि बुनियादी ढांचे के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हाल के वर्षों में, भारतीय स्टील उद्योग ने कई चुनौतियों का सामना किया है, जैसे उच्च उत्पादन लागत, अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा और अब, चीनी स्टील का डंपिंग.

चीन, दुनिया का सबसे बड़ा स्टील निर्माता है, और उसने अपने अधिशेष उत्पादन को अन्य देशों में सस्ते दामों पर बेचना शुरू कर दिया है. यह भारतीय स्टील निर्माताओं के लिए एक गंभीर समस्या बन गई है, क्योंकि भारतीय उत्पादों की तुलना में चीनी स्टील की कीमतें काफी कम हैं. इस स्थिति के कारण भारतीय स्टील कंपनियों की बिक्री और लाभ में कमी आई है, जिससे उन्हें बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ रहा है.

FTAs की समीक्षा का महत्व

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उद्योग के नेताओं का मानना है कि मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों की समीक्षा आवश्यक है. FTAs का उद्देश्य विभिन्न देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना होता है, लेकिन जब एक देश का उत्पाद दूसरे देश के उद्योग को नुकसान पहुँचाता है, तो यह समझौतों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है.

सरकार ने कई FTAs पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें कुछ एशियाई देशों के साथ भी शामिल हैं. इन समझौतों के तहत, चीन जैसे देशों से स्टील के आयात में कमी लाने के लिए उचित नीतियों की आवश्यकता है. उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि बिना उचित नियंत्रण के, चीन से स्टील का आयात भारतीय बाजार में मूल्य संतुलन को बिगाड़ सकता है.

सरकार की भूमिका

सरकार को इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए उद्योग के विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि सरकार को पहले से लागू करों और शुल्कों की समीक्षा करनी चाहिए, ताकि चीनी स्टील के आयात को सीमित किया जा सके. इसके अतिरिक्त, भारत को अपनी घरेलू स्टील उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए नीतियां बनानी चाहिए, जिससे भारतीय उत्पादकों को प्रतिस्पर्धी लाभ मिल सके.

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