Champai Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने थामा बीजेपी का दामन ,पार्टी को होगा कितना लाभ

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Champai Soren ने थामा बीजेपी का दामन

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री,और सात बार के विधायक रहे कोलन टाइगर Champai Soren आज बीजेपी में शामिल होंगे ,उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की घोषणा एक हफ्ता पहले ही कर दी थी। आज आधिकारिक तौर पर बीजेपी शामिल हो जायेंगे ,उनको बीजेपी में लाने की असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही।

2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड की कुल 3 करोड़ 29 लाख 88 हजार 134 की आबादी में जनजातियों की भागीदारी 86 लाख 45 हजार 42 लोगों की है. इसमें भी अकेले संथाल आबादी ही 27 लाख 54 हजार 723 लाख है. चंपाई सोरेन संथाल जनजाति के शीर्ष नेताओं में गिने जाते हैं. झारखंड राज्य की मांग को लेकर हुए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले चंपाई की अन्य जनजाति के लोगों के बीच भी मजबूत पैठ मानी जाती है.

चंपाई सोरेन जिस कोल्हान रीजन से आते हैं, उस रीजन में सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिमी सिंहभूम जैसे जिले आते हैं. इन तीन जिलों में विधानसभा की 14 सीटें हैं. 2019 के झारखंड चुनाव में बीजेपी इस रीजन में खाता तक नहीं खोल पाई थी. जेएमएम को इस रीजन की 11 सीटों पर जीत मिली थी जबकि दो सीट पर कांग्रेस और एक से निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी.राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि चंपाई के जरिए बीजेपी विधानसभा चुनाव में जेएमएम के आदिवासी वोट बैंक में बड़ी सेंध लगा सकती है.

” कोल्हान का टाइगर”

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चंपाई सोरेन की कोल्हान की सीटों पर अच्छी पकड़ है. खासकर पोटका, घाटशिला और बहरागोड़ा, ईचागढ़, सरायकेला-खरसावां और प. सिंहभूम जिले के विधानसभा क्षेत्रों में उनका बड़ा वोट बैंक है और वह अपने दम पर नतीजों को पलट सकते हैं. कोल्हान की जिन घाटशिला, बहरागोड़ा, पोटका और ईचागढ़ पर चंपाई की पकड़ है. इसलिए इनको ” कोल्हान का टाइगर”कहा जाता है . पिछले कुछ चुनाव से इन सीटों पर जीत-हार का अंतर 10 से 20 हजार वोटों का रहा है. ऐसे में चंपाई बीजेपी को यहां जीत दिला सकते हैं.

चंपाई सोरेन का राजनैतिक सफर

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सोरेन सात बार के विधायक हैं। वे पहली बार 1991 में सरायकेला से चुने गए और 2000 तक बिहार विधानसभा में दो कार्यकाल तक सेवा की। अलग झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान, वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के सदस्य बन गए। JMM में शामिल होने से पहले, उन्होंने एक स्वतंत्र विधायक के रूप में कार्य किया। बाद में, उन्होंने 2005 से 2024 तक लगातार चार कार्यकालों के लिए झारखंड विधानसभा में सरायकेला विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

उन्होंने 2019 से 2024 तक दूसरे हेमंत सोरेन मंत्रालय के कैबिनेट में झारखंड सरकार के परिवहन, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण के कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया। पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद अचानक हुए घटनाक्रम में उन्हें 2 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 तक झारखंड के 7वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया.

सोरेन को “झारखंड का टाइगर” भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने 1990 के दशक में एक अलग राज्य के निर्माण की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 

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