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Business Ideas : अगर आप भी खेती करके कम निवेश में अधिक पैसा कमाना चाहते है तो आप सोयाबीन की खेती से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं ,हमारे देश में किसानों की संख्या बहुत है और खेती करना उनका व्यवसाय ,तो सोयाबीन की खेती को करके वो अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकते है।
सोयाबीन की खेती
सोयाबीन की खेती मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा होती है ,सोयाबीन मध्य प्रदेश में उगाई जाने वाली एक प्रमुख फसल है यह खरीफ की फसल होती है, इसकी खेती लगभग 53 लाख क्षेत्रफल में की जाती है मध्य प्रदेश सोयाबीन की खेती में सबसे अग्रणी देश है ,वहीं सरकार के द्वारा सोयाबीन की खेती करने पर उन्हें सोयाबीन की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी दिया जाता है ताकि सोयाबीन की खेती को बढ़ावा दिया जा सके.
सोयाबीन से कई तरह के फायदे मिलते हैं इसमें काफी मात्रा में प्रोटीन और तेल होता है ,सोयाबीन से तेल निकाला जाता है इसके अतिरिक्त इसमें कैल्शियम ,मैग्नीशियम ,कॉपर, जिंक भी पाए जाते हैं वही सोयाबीन ब्लड प्रेशर को भी निरंतर करता है और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है तथा हड्डियों को मजबूत बनाता है। इस तरह से इसके काफी फायदे है और लोगो में इसकी काफी मांग है ,ऐसे में सोयाबीन की खेती काफी फायदे का बिज़नेस है।
सोयाबीन की खेती करने के लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
मिट्टी का परीक्षण
सोयाबीन की खेती करने के लिए हमें सबसे पहले मिट्टी की उर्वरक शक्ति का पता लगाना होता है ,मिट्टी में उपस्थित प्रमुख तत्व जैसे -नाइट्रोजन ,फास्फोरस, पोटाश ,सल्फर ,कैल्शियम ,मैग्नीशियम ये मिटटी की उर्वरक शक्ति को बढ़ा देते है ,इसलिए खेती से पहले मिटटी का परीक्षण कर लेना चाहिए।
ग्रीष्मकालीन में करें जुताई
सोयाबीन की खेती करने के लिए आपको ग्रीष्मकल में ही खेतों की जुताई कर देनी चाहिए, यह जुताई मार्च से लेकर मई के महीने में करनी चाहिए और उसकी गहराई 9 से 12 इंच तक की होनी चाहिए , इससे मिट्टी में पानी सूखने की क्षमता बढ़ती है और मिट्टी में भरभरापन आ जाता है, इसके अलावा मिट्टी में जो भी कीड़े -मकोड़े खरपतवार होते हैं वह सब नष्ट हो जाते हैं और मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ती है इसे सोयाबीन की फसल अच्छी होती है .
सोयाबीन की बुवाई
सोयाबीन की बुवाई के लिए जुलाई के प्रथम सप्ताह को उत्तम माना जाता है इस समय वर्षा की प्रारंभिक शुरुआत होती है, बुवाई के लिए उचित मात्रा में बीज का निर्धारण करना चाहिए और उचित दूरी पर इन्हें लगाना चाहिए ताकि पौधों को पानी देने की सुविधा भी बनी रहे .
सिंचाई की इस उचित व्यवस्था
सोयाबीन की फसलों को सिंचाई की उचित व्यवस्था भी होनी चाहिए साथ ही साथ अत्यधिक जल भराव के लिए भी उपाय करना चाहिए ,क्योंकि अत्यधिक जल भराव की स्थिति में सोयाबीन की फसल सड़ने लगते हैं वही अत्यधिक सूखी जमीन पर भी सोयाबीन का उत्पादन कम होता है इसलिए सिंचाई की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
कीटनाशक का छिड़काव
सोयाबीन की फसलों से कीटों को बचाने के लिए समय-समय पर फसलों में कीटनाशक दावाओं का छिड़काव करते रहना चाहिए ताकि कीटों के द्वारा फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके और अच्छा उत्पादन हो सके .
सोयाबीन की कटाई
जब सोयाबीन की फसल पक कर तैयार हो जाए और पकने के बाद इसके दाने चटक कर अपने आप निकलने लगे तो समझना चाहिए की फसल पक गई है , फसल को काटने के बाद इसे 2 से 3 दिन तक धूप में सुखाना चाहिए ,इसके बाद इसकी गहाई करनी चाहिए और गहाई के बाद निकले बीजों को भी तीन से चार दिन तक अच्छी धूप में सुखा लेना चाहिए ,इसके बाद इन्हें संग्रहित कर बाजार में बेचा जा सकता है .
कीमत
फसलों को बाजार में बेचने के लिए आपको सरकार की तरफ से भी उचित समर्थन मूल्य दिया जाता है , 1 एकड़ खेत से 7.73 क्विंटल की पैदावार उत्पन्न होती है आप इसे अच्छे दामों पर बाजार पर बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं .
वही सोयाबीन बाजार में 4550 रुपए से लेकर 6000 रूपए प्रति कुंटल तक आराम से बिक जाता है जिसमें आप अपनी लागत को निकाल कर काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं .