QUAD देशों की बैठक में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने एकजुटता के साथ अपने विचार साझा किए हैं, जिसमें चीन के प्रति सबसे मजबूत शब्दावली का इस्तेमाल किया गया है. यह बैठक भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
बैठक की पृष्ठभूमि
QUAD का गठन 2017 में हुआ था, जिसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है. पिछले कुछ वर्षों में, चीन की बढ़ती शक्ति और क्षेत्र में उसकी सैन्य गतिविधियों ने क्यूड देशों को एकजुट किया है. इस बैठक में, चारों देशों ने समुद्री सुरक्षा, व्यापारिक सहयोग, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी नवाचार जैसे मुद्दों पर चर्चा की.
चीन के प्रति कड़े शब्द
इस बार QUAD देशों ने चीन के खिलाफ विशेष रूप से कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया. उन्होंने चीन की विस्तारवादी नीतियों, जैसे कि दक्षिण चीन सागर में अवैध गतिविधियाँ और तिब्बत में मानवाधिकारों का उल्लंघन, पर चिंता व्यक्त की. यह एक स्पष्ट संकेत है कि क्यूड देशों को चीन की बढ़ती शक्ति से गंभीर चिंता है और वे इसे नियंत्रित करने के लिए एकजुट हैं.
यूक्रेन के संकट पर चिंता
बैठक के दौरान, क्यूड देशों ने यूक्रेन के संकट पर भी अपनी चिंताएँ व्यक्त कीं. उन्होंने कहा कि वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि सभी देशों को किसी भी प्रकार के आक्रमण के खिलाफ खड़ा होना चाहिए. यह संकेत करता है कि क्यूड देश न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों पर भी एकजुटता दिखा रहे हैं.
आर्थिक सहयोग की आवश्यकता
QUAD देशों ने यह भी समझा कि आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि एक मजबूत आर्थिक आधार के बिना सुरक्षा सुनिश्चित करना कठिन होगा. इस संदर्भ में, उन्होंने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने और सामूहिक रूप से आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की बात की.
जलवायु परिवर्तन पर ध्यान
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी चर्चा हुई, जो न केवल क्षेत्र के देशों के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक गंभीर चुनौती है. क्यूड देशों ने इस दिशा में सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया, यह मानते हुए कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं.