Bharat Band का हुआ ऐलान, SC-ST कोटे पर आरक्षण के खिलाफ
यह Bharat Band अनुसूचित जाति और जनजातियों में सब कैटेगरी को लेकर सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में हो रहा है। अनुसूचित जाति, जनजाति संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को यह फैसला वापस लेना चाहिए। दलित संगठन इस फैसले को संविधान विरोधी और भीम राव अंबेडकर का अपमान बता रहे हैं। जानकारी के मुताबिक बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक रहेगा, जिसके दौरान सभी दुकानें, स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे। इस दौरान वाहनों की आवाजाही पर भी रोक रहेगी, हालांकि आपातकालीन सेवाएं बाधित नहीं होंगी। बता दे की ये Bharat Band का आवाहन सुप्रीम कोर्ट के लिए फैसले के विरोध में हो रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मुद्दे पर 1 अगस्त को फैसला आया जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को एससी एसटी ग्रुप के अंदर सब कैटेगरी बनाने के लिए कहा है। कोर्ट के अनुसार, जिन लोगों को वास्तव में इसकी जरूरत है, उन्हें रिजर्वेशन में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। कोर्ट के इस फैसले पर बहस छिड़ गई है. फैसला सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 6/1 के मत से सुनाया था। यह सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे। उनके साथ 6 जजों में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ,6 जजों की इस पर सहमति जताई थी. जस्टिस बेला त्रिवेदी इससे सहमत नहीं रही।
सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान किसने क्या-क्या कहा
संविधान पीठ के सदस्य जस्टिस बीआर गवई ने इस बारे में कहा, “सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग की तरह अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए क्रीमी लेयर लागू करने के लिए कुछ मानदंड तय करने चाहिए. ओबीसी और अनुसूचित जनजाति के लिए मानदंड अलग-अलग हो सकते हैं.”
जस्टिस पंकज मित्तल उन्होंने कहा, ”अगर एक छात्र सेंट स्टीफंस या किसी अन्य शहरी कॉलेज में पढ़ रहा है और एक छात्र ग्रामीण इलाके के स्कूल या कॉलेज में पढ़ रहा है, तो इन दोनों छात्रों को एकसमान नहीं माना जा सकता है. अगर एक पीढ़ी आरक्षण का लाभ लेकर आगे बढ़ी है तो अगली पीढ़ी को आरक्षण नहीं मिलना चाहिए.”
क्या होता है क्रीमी लेयर
क्रीमी लेयर का इस्तेमाल फिलहाल अन्य पिछड़े वर्ग कैटेगरी के तहत उन सदस्यों की पहचान के लिए किया जाता है, जो सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक रूप से इस कैटेगरी के पिछड़े लोगों के मुकाबले जायदा समर्थ है, क्रीमी लेयर के तहत आने वाले लोग सरकार की शैक्षिक रोजगार अन्य व्यावसायिक लाभ योजनाओं के लिए पात्र नहीं माने जाते हैं. क्रीमी लेयर का शब्द 1971 में सत्यनाथन आयोग द्वारा पेश किया गया था, तब आयोग ने निर्देश दिया था कि क्रीमी लेयर के तहत आने वाले लोगों को सिविल सेवा के पदों में आरक्षण के दायरे से बाहर रखना चाहिए फिलहाल ओबीसी कैटेगरी के तहत क्रीमी लेयर के परिवार को, सभी स्रोतों में कुल 8 लाख रुपए की राशि निर्धारित की गई है. यह सीमा समय-समय पर बदलती रहती है.