Bangladesh hindu crisis :क्या बांग्लादेश दो हिस्सों में टूट जाएगा

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Bangladesh hindu crisis

Bangladesh में 5 अगस्त से शुरू हुआ आरक्षण के खिलाफ छात्र आंदोलन, इतना बढ़ा कि शेख हसीना को अपनी सत्ता छोड़कर देश से भागना पड़ा।बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वेकर-उज-ज़मान ने हिंसक आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के मद्देनजर प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा था.कि देश का नेतृत्व करने के लिए एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा,मोहम्मद युनूस ने 8 अगस्त को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर शपथ ली .उनके साथ 16 और सदस्य अंतरिम सरकार का हिस्सा बने , इस बीच मुल्क में सबसे बुरा हाल अल्पसंख्यक और खासकर हिंदू समुदाय के लोगों का है. इसके चलते हिंदू सड़कों पर उतर आए हैं और अपनी सुरक्षा के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.

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बांग्लादेश तीसरा सबसे ज्यादा हिंदू आबादी वाला देश

जनसंख्या के लिहाज से, बांग्लादेश भारत और नेपाल के पड़ोसी देशों के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा हिंदू आबादी वाला देश है।बांग्लादेश में 1 करोड़ 31 लाख हिंदू हैं. सबसे ज्यादा 24 लाख ढाका में रहते हैं. इसके बाद रंगपुर में 20 लाख, राजशाही में 10 लाख, मैमनसिंघ में 4 लाख, सिलहट में 13 लाख, बारिसल में 7 लाख, चटगांव और खुलना में 20 लाख हिंदू आबादी है.

हिन्दुओ ने फिर शुरू किया बंग भूमि आंदोलन

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बंगा, गंगा किनारे बसा हुआ प्राचीन बंगाल था, बंग भंग आंदोलन यही से 1973 में शुरू हुआ था। आंदोलनकारियों ने तय किया वे बांग्ला बोलने वाले हिंदुओं का नया देश बनाएंगे, जिसका प्रस्तावित नाम- बंग भूमि रखा गया.आंदोलन में सबसे आगे वे लोग थे, जिन्होंने पाकिस्तान से अलगाव के दौरान अपनी ही भाषा बोलने वालों का अत्याचार सहा था. इस आंदोलन को आगे बढ़ाने का काम किया बंग सेना ने , ये हिंदू प्रदर्शनकारियों का संगठन था, जिसकी अगुवाई कालिदास वैद्य और धीरेंद्र नाथ पॉल कर रहे थे. ये लोग बाकी प्रदर्शनकारियों की तरह अलग देश की मांग लेकर सड़कों पर उतरते कम ही दिखते थे.आरोप लगता रहा कि ये गुट अंडरग्राउंड होकर ज्यादा काम करता है. बांग्लादेश के अधिकारियों ने आरोप लगाया कि अलगाववादी पश्चिम बंगाल से जुड़कर काम कर रहे हैं और देश में अस्थिरता ला रहे हैं. बांलादेश में इस समय फिर से यह आंदोलन जोर पकड़ रहा है।

बांग्लादेश में 40 फ़ीसदी से घटकर 7.97 फ़ीसदी रह गई हिंदुओं की जनसंख्या

बांग्लादेश में जहां सन् 1947 तक 40 फीसदी से कहीं अधिक हिंदू जनसंख्या निवास कर रही थी. वही साल 2022 की जनगणना के मुताबिक हिन्दू जनसँख्या 7.97 फीसदी रह गयी है। डिवीजन के लिहाज से देखें तो बांग्लादेश के तीन डिवीजन ऐसे हैं, जहां हिंदू आबादी 10 फीसदी से अधिक है. दूसरी तरफ जिले के लिहाज से देंखे तो बांग्लादेश के चार जिले ऐसे हैं जहां की आबादी 20 फीसदी से अधिक है. ढ़ाका डिवीजन के गोपालगंज जिले में हिंदुओ की आबादी 26 फीसदी है, वहीं खुलना जिले में 20 फीसदी से अधिक हिंदू रहते हैं. रंगपुर डिवीजन के ठाकुरगांव जिले में 22 फीसदी हिंदू निवास करते हैं. स्यालहाट के मौलवी बाजार जिले में 24 फीसदी हैं.

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