असम में आई बाढ़ के कारण से 12 लाख लोग प्रभावित
असम में हाल ही में आई बाढ़ ने राज्य को बुरी तरह प्रभावित किया है. भारी बारिश के कारण कई नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो गई है. इस प्राकृतिक आपदा के कारण अब तक 90 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 12 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. राज्य के विभिन्न जिलों में बाढ़ का कहर देखने को मिला है. घर, फसलें, और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है. लोगों को अपने घरों से निकालकर राहत शिविरों में शरण लेना पड़ा है. सरकार और राहत एजेंसियां स्थिति को संभालने के लिए दिन-रात काम कर रही हैं.
बचाव कार्यों के लिए सरकार आ रही है आगे
सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों को तेज कर दिया है. राहत शिविरों में रहने वाले लोगों के लिए भोजन, पानी, और चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. सेना, एनडीआरएफ, और अन्य एजेंसियां बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य में लगी हुई हैं. नावों और हेलीकॉप्टरों की मदद से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है.
बाढ़ के कारण से लाखों लोग बेघर, फसलें हुई खराब
बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में दरंग, नागांव, गोलाघाट, और बारपेटा शामिल है. इन जिलों में हजारों लोग बेघर हो गए हैं और उनकी आजीविका पर बुरा असर पड़ा है. किसान अपनी फसलों के नष्ट होने से परेशान हैं, जिससे उनके लिए आने वाले दिनों में जीवन यापन करना मुश्किल हो सकता है.
असम सरकार ने बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार से भी सहायता मांगी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति का जायजा लिया और आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार असम की हर संभव मदद करेगी. केंद्र सरकार ने बाढ़ राहत कार्यों के लिए आर्थिक सहायता भी प्रदान की है.
बीमारियों का बढ़ रहा है खतरा
बाढ़ की वजह से नदियों के किनारे बसे गांवों में जलजनित बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. स्वास्थ्य विभाग ने विशेष टीमें तैनात की हैं जो प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही हैं. असम में हर साल बाढ़ की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है. सरकार और विशेषज्ञ इस बात पर विचार कर रहे हैं कि किस प्रकार से बाढ़ को नियंत्रित किया जा सके और लोगों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. बाढ़ से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है.