जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में शनिवार को सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई, जिसमें दो जवानों ने अपनी जान गंवाई. इस घटना में दो नागरिकों सहित छह लोग घायल हुए हैं. मुठभेड़ के दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंके और स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की. सुरक्षा बलों ने आतंकियों को चारों तरफ से घेर लिया है, जिससे उनके बच निकलने के सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं.
गंगरमुंड-कोकरनाग में मुठभेड़ की शुरुआत
मुठभेड़ की शुरुआत तब हुई जब सुरक्षा बलों को सूचना मिली कि अनंतनाग के गडोल आहलन के ऊपरी हिस्से में कुछ आतंकवादी छिपे हुए हैं. सूचना के आधार पर पुलिस, सेना, और सीआरपीएफ के जवानों ने मिलकर आतंकियों को पकड़ने के लिए अभियान शुरू किया. जैसे ही सुरक्षा बल गंगरमुंड इलाके में पहुंचे, वहां छिपे आतंकियों ने उन पर अचानक हमला कर दिया. आतंकियों ने पहले ग्रेनेड फेंका और फिर स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की, जिसमें दो जवान शहीद हो गए और चार अन्य घायल हो गए.
घायलों की स्थिति और आतंकियों की संख्या
घायल जवानों को तुरंत श्रीनगर स्थित सेना के बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है. मुठभेड़ में शामिल आतंकियों की संख्या दो से तीन बताई जा रही है. सुरक्षा बलों ने क्षेत्र को घेर लिया है और आतंकियों के बच निकलने के सभी संभावित रास्तों को बंद कर दिया है.
पिछले साल की मुठभेड़ की यादें ताजा
गडोल का यह इलाका पहले भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए कुख्यात रहा है. पिछले साल सितंबर में इसी इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच भीषण मुठभेड़ हुई थी, जिसमें सेना के एक कर्नल, एक मेजर और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक डीएसपी शहीद हुए थे.
कठुआ में सक्रिय आतंकियों के स्केच जारी
इस बीच, जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कठुआ जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में सक्रिय चार विदेशी आतंकियों के स्केच जारी किए हैं. पुलिस ने इन आतंकियों के बारे में जानकारी देने वालों के लिए पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया है. ये आतंकी पिछले कुछ दिनों से मच्छेड़ी, लोई मल्हार, बनी और सरथल के इलाकों में देखे गए हैं.
बदनौटा हमले के संदिग्ध
ये वही आतंकी हैं जिन पर आठ जुलाई को बदनौटा में सेना के एक दल पर हमला करने का आरोप है, जिसमें पांच जवान शहीद हो गए थे. पुलिस ने इन आतंकियों को पकड़ने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है और इनके ऊपर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया है.
मौसम और भूगोल बना चुनौती
मुठभेड़ स्थल पर मौसम की खराबी और इलाके की ऊंचाई ने भी ऑपरेशन को चुनौतीपूर्ण बना दिया है. सुरक्षा बलों का मानना है कि समय के साथ आतंकियों को मार गिराने में सफलता मिलेगी, लेकिन फिलहाल ऑपरेशन जारी है और क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. इस मुठभेड़ ने एक बार फिर से यह स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का खतरा अभी भी बरकरार है, और सुरक्षाबलों के सामने चुनौतियां कम नहीं हुई हैं. सुरक्षाबलों की सतर्कता और उनके बलिदान ने आतंकियों के इरादों को नाकाम कर दिया, लेकिन इसके लिए हमें एक और कीमत चुकानी पड़ी है.